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निजी अंगों में किसी भी शुरूआती लक्ष्णों को नजरअंदाज न करें महिलाएं : डा. रोहित डढवाल

एड्रेनल गलैंड और रीनल टयूमर के कारण चुनौतिपूर्ण जिंदगी व्यतीत कर रही 37 वर्षीय युवती का सफल इलाज*

 

*रोबोट-एडेड सर्जरी न्यूनतम रक्त स्त्राव, कम दर्द, कम निशान, कम अस्पताल में रहने और तेजी से ठीक होने को सुनिश्चित करती है*

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: महिलाएं अकसर अपने निजी अंगों से संबंधित बीमारियों के शुरूआती लक्ष्णों को बताने में हिचकिचाती हैं जो कि एक बड़े रोग का कारण बनता हैं तथा ज्यादातर महिलाएं रोग के अनियंत्रित होने के बाद ही अस्पताल पहुंचती हैं, परंतु अब समय के साथ-साथ चिकित्सा जगत में आई नई क्रांति से गंभीर व चुनौतीपूर्ण मामलों में मरीजों को बचाना संभव हो पाया है, वहीं रोबोटिक सर्जरी टयूमर से ग्रस्त मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह बात जाने माने यूरोलॉजिस्ट डा. रोहित डढवाल ने रोहडू में आयोजित एक प्रैस कान्फ्रेंस में कही, जो कि हाथों की बजाए ‘दा विंची’ रोबोटिक सर्जरी से मरीज को उपचार के दौरान मिलती राहत जैसे खून की बर्बादी, कम दर्द, कम निशान व तुरंत राहत संबंधी जागरूक करने के लिए शहर में पहुंचे थे, जिनके द्वारा हाल ही में एड्रेनल गलैंड और रीनल टयूमर को सफलतापूर्वक हटाकर एक 37 वर्षीय युवती को सामान्य जीवन जीने के काबिल बनाया गया है।
फोर्टिस अस्पताल में यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी एवं रोबोटिक और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी विभाग के कंस्लटेंंट डॉ. रोहित डढवाल ने बताया कि हाल ही में 37 वर्षीय युवती एड्रेनल गलैंड और रीनल (किडनी) टयूमर से पीडि़त होने के कारण एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति में थी। रोगी वजन घटने, भूख न लगने और पेट के दाहिनी ओर पुराने दर्द के कारण बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रही थी। इस लक्ष्णों के दौरान जांच करने पर पता चला कि युवती के एड्रेनलगलैंड (किडनी के ऊपरी हिस्से) व किडनी टयूमर पाए गए। डा. रोहित ने बताया कि रोबोट-एडेड सर्जरी के माध्यम से एड्रेनलगलैंड ट्यूमर के साथ-साथ रीनल टयूमर को भी पूरी तरह से हटाकर 90 प्रतिशत से अधिक किडनी को बचा लिया। सर्जरी उपरांत महिला अब सामान्य जीवन जी रही है। ऐसे जटिल मामले रोबोट-एडेड सर्जरी को गोल्ड स्टेंडर्ड ट्रीटमेंट माना जाता है।
मामले संबंधी डा. रोहित डढ़वाल ने बताया कि इस तरह के मामले बेहद दुर्लभ हैं जिनमें इतनी कम उम्र में एक साथ दो ट्यूमर पाए जाते हैं। इसलिए, ओपन या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि ऑपरेटिव एरिया काफी छोटा है। उन्होंने बताया कि ओपन व लेप्रोस्कोपिक की बजाए रोबोटिक सर्जरी मरीज के लिए कम तकलीफ व ज्यादा लाभदायक साबित हुई है। उन्होंने बताया कि मरीज के आप्रेशन के दौरान शरीर के जिन हिस्सों तक हाथ पहुंचाना मुश्किल था, अब 360 डिग्री तक घूमने वाले रोबोट की मदद से वहां पहुंच की जा सकती है। उन्होंने बताया कि रोबोट की मदद से रोगी के शरीर में डाले गए एक विशेष कैमरे के माध्यम से ऑपरेटिव एरिया का 3डी व्यू देखकर कर उसको पूरी तरह से तंदरूस्त किया जा सकता है।

Deepika Sharma

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