असर विशेष: काम के दबाव में दबा उच्च शिक्षा विभाग, जाने कैसे?
प्रवक्ता संघ सिरमौर ने सरकार के समक्ष रखी विभाग की तस्वीर
काम के दबाव में उच्च शिक्षा विभाग दब कर रह गया है।प्रवक्ता संघ सिरमौर ने सरकार के समक्ष विभाग की तस्वीर रखी है।हिमाचल प्रदेश विद्यालय प्रवक्ता संघ जिला सिरमौर ने सरकार से अलग माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की मांग की है। संघ का तर्क है कि शिक्षा विभाग में पिछले कुछ वर्षों से जिस प्रकार से विद्यालय संबंधी निर्णयो , जैसे अवकाश से संबंधित, वार्षिक समारोह से संबंधित अथवा अन्य निर्देश आदि को बार बार बदला जा रहा है इससे स्पष्ट होता है कि उच्च शिक्षा निदेशालय को बढ़ते कार्य बोझ के कारण संभवत महाविद्यालयों के साथ माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों की कार्यप्रणाली मे सामंजस्य बना पाना काफी मुश्किल हो गया है । स्कूल प्रवक्ता संघ जिला सिरमौर ने राजगढ़ में खंड स्तरीय बैठक कर ये निर्णय लिया कि इस मुद्दे को राज्य कार्यकारिणी के साथ मिल कर सरकार के समक्ष लाया जाएगा।हिमाचल प्रदेश विद्यालय प्रवक्ता संघ सिरमौर जिला अध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर, राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद्र नेगी, जिला महासचिव डॉ आईडी राही, वरिष्ठ उपाध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा,कोषाध्यक्ष श्री विजय वर्मा, पूर्व जिला अध्यक्ष रमेश नेगी पूर्व महासचिव संजय शर्मा राज्य कार्यकारिणी सदस्य सतीश शर्मा देवराज कनयाल, महिला विंग अध्यक्षा रमा शर्मा, संध्या चौहान,राजगढ़ खंड के कार्यकारिणी के सदस्य विनोद कमल, देवेन्द्र चौहान, जोगेंद्र सिँह, प्रकाश ठाकुर, राजेश शर्मा, कमलेश चौहान, प्रदीप ठाकुर, राजेश शर्मा, राजेश भारत आदि ने कहा कि जब हिमाचल राज्य बनने के बाद शिक्षा निदेशालय बना तो निश्चित रूप से मात्र दर्जनों उच्च शिक्षा संस्थान राज्य में रहे होंगे जबकि आज यह संख्या हजारों में पहुंच गई है जिसमें लगभग डेढ़ सौ के करीब राजकीय महाविद्यालय, सैकड़ों निजी महाविद्यालय व 3000 के लगभग सरकारी उच्च एवं वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तथा दो हजार निजी विद्यालय उच्च शिक्षा निदेशालय के कार्यक्षेत्र में आते हैं । यदि इन संस्थानो मे कार्यरत शिक्षकों की भी गणना की जाए तो संभवतः यह संख्या पचास हजार के पार पहुंचेंगी तथा इन संस्थानों सम्बन्धित किसी भी निर्देश से लाखो विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक प्रभावित होते है।
साथ ही इन सबका संपूर्ण विवरण रख पाना तथा उन्हें सुनियोजित कर पाना एक ही उच्च शिक्षा निदेशालय के लिए व्यवहारिक नही। प्रवक्ता संघ पदाधिकारियो के अनुसार यह देखने में आया है कि उच्च शिक्षा निदेशालय में निदेशक उच्च शिक्षा सहित अधिकतर उच्च अधिकारी महाविद्यालय स्तर से जाते हैं जबकि हजारों माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयो का प्रतिनिधित्व नगण्य है अत इस बात का संशय भी बना रहता है कि विद्यालयो एवम महाविद्यालयो के मध्य बजट विभाजन हो अथवा कार्य निष्पादन कहीं ना कहीं विद्यालयो की समस्याओ को उतना ध्यान नही मिल पाता जितना अपेक्षित है।
प्रवक्ता संघ अध्यक्ष ने कहा कि गुणात्मक शिक्षा का जो उद्देश्य माननीय शिक्षा मंत्री महोदय ने निर्धारित किया है उसे पूरा करने के लिए शिक्षा विभाग मे त्रिस्तरीय प्रशासनिक व्यवस्था जिनमे कक्षा 1 से कक्षा 8 तक प्रारंभिक निदेशालय, कक्षा 9 सै कक्षा 12 तक माध्यमिक व वरिष्ठ माध्यमिक निदेशालय तथा महाविद्यालय व उच्च कक्षाओ के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय होना, एक सुनिश्चित एवं व्यवहारिक तबादला नीति के स्थान पर तबादला अधिनियम बनना तथा विद्यालयो एवं शिक्षको सम्बन्धित मामले के शीघ्र निष्पादन हेतु निदेशालय स्तर पर कर्मचारी शिकायत एवं सुझाव निवारण प्रकोष्ठ स्थापित किया जाना अनिवार्य है जिससे अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप को सीमित किया जा सके तथा विद्यालय संबंधित कार्य निष्पादन शीघ्रता से किया जा सके । प्रवक्ता संघ का मानना है कि उच्च शिक्षा निदेशालय मे आज भी विद्यालयो के शिक्षकों की वरिष्ठता सूची , ऐ सी पी, वेतन विसंगति, स्थानांतरण, मामले लम्बे समय से लम्बित पड़े हैं फलस्वरुप हजारों मामले माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल है जिससे सरकार तथा शिक्षको के धन के अतिरिक्त मानव संपदा का भी उचित उपयोग नही हो पा रहा है जबकि असंख्य ऐसे मामले है जिन्हे विभागीय स्तर पर निपटाया जा सकता था। वर्तमान परिस्थितियों में माध्यमिक एवं वरिष्ठ
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय का अलग होना अथवा उच्च शिक्षा निदेशक पद पर किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी या उच्च माध्यमिक स्तर के किसी वरिष्ठ अधिकारी को बिठाया जाना विद्यालय एवं महाविद्यालयों के मध्य सामंजस्य बनाने हेतु जरूरी है। जिला प्रवक्ता संघ ने नव नियुक्त राज्य अध्यक्ष लोकेन्द्र नेगी से निवेदन किया कि शीघ्र ही इस विषय को माननीय मुख्यमंत्री ,माननीय शिक्षा मंत्री व शिक्षा सचिव के ध्यानार्थ लाया जाए ।

