हैरानी: भूख से जूझ रहे देशों की श्रेणी में भारत पिछड़ कर 121 देशों में 107 वें पायदान पर पहुंच गया

5 अप्रैल को केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ रामलीला मैदान दिल्ली में हुई मजदूर किसान रैली में हिमाचल प्रदेश से हज़ारों मजदूरों किसानों ने भाग लिया।
दिल्ली रैली की जानकारी देते हुए सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, हिमाचल किसान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर व सचिव होतम सौंखला ने कहा कि दिल्ली रैली में देशभर से लाखों मजदूर, किसान व खेत मजदूर शामिल हुए। हिमाचल प्रदेश से भी हज़ारों मजदूर किसान इसमें शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद से केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के चलते बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। जनता की अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खर्च करने की क्षमता घट रही है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। भूख से जूझ रहे देशों की श्रेणी में भारत पिछड़ कर 121 देशों में 107 वें पायदान पर पहुंच गया है। इन आंकड़ों से मोदी सरकार की देश में तथाकथित विकास के ढिंढोरे की पोल खुल गई है।
रैली में मजदूरों किसानों ने देश की मेहनतकश जनता की बुनियादी मांगों को दोहराया। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये प्रति माह करने, सभी श्रमिकों को 10 हज़ार रुपये की पेंशन सुनिश्चित करने, गारंटीकृत खरीद के साथ सभी कृषि उपज के लिए C2+50 प्रतिशत पर MSP की कानूनी गारंटी देने, चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक 2020 को खत्म करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा के तहत 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 कार्यदिवस प्रदान करने, गरीब और मध्यम किसानों और कृषि श्रमिकों को एकमुश्त ऋण माफी देने आदि मांगों प्रमुखता से उठाया। उन्होंने पीएसयू के निजीकरण को रोकने, एनएमपी को खत्म करने, अग्निपथ को खत्म करने, मूल्य वृद्धि व महंगाई को रोकने, पीडीएस को मजबूत करने व सार्वभौमिक बनाने, सभी श्रमिकों के लिए 10 हज़ार रुपये पेंशन और अमीरों पर कर लगाने की मांग की।



