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EXCLUSIVE: स्टार प्रोजेक्ट को लेकर क्या कर रही थी फाइनेंस टीम?

स्कूलों का फंसा करोड़ो का पैसा "भाग 2"

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हिमाचल के स्कूलों तक उनके अपग्रेडेशन का पैसा नहीं पहुंचने को लेकर एक और बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। सवाल यह  खड़ा हुआ है कि आखिर समग्र शिक्षा के तहत इस स्टार प्रोजेक्ट की क्रियान्वयन में जब निजी बैंक को बजट आबंटन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई तो इसकी बारीकी क्या समग्र शिक्षा अभियान के तहत संबंधित महकमे की फाइनेंस  टीम नहीं देख पाई? की उक्त निजी बैंक की ब्रांच  हिमाचल के दूरदराज के स्कूलों में नहीं है और कई स्कूलों में अभी तक खाते नहीं खुल पाए । जिसके कारण स्कूलों की राशि उन तक नही पहुंच पाई है। उल्लेखनीय हे कि समग्र शिक्षा अभियान में फाइनेंस कंट्रोलर,असिस्टेंट कंट्रोलर, अकॉन्टेंट एंड हेल्पिंग स्टाफ शामिल है।

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गौर हो की इसे लेकर असर न्यूज़ ने मामला उठाया है

 

 हैरानी ये हैं कि इस प्रोजेक्ट कि राशि को एक निजी बैंक में जोड़ा गया है। यानी की यदि स्कूलों में सम्बन्धित बैंक की शाखा खोली जाती है तब ही स्टार प्रोजेक्ट का पैसा संबंधित स्कूल के अपग्रेडेशन को मिल सकता है । अब हिमाचल में ऐसा नहीं हुआ और सभी स्कूलों के खाते भी नहीं खुल पाए और अभी तक संबंधित विभाग द्वारा 15000 खाते खोले जाने थे।जिससे संबंधित स्कूलों में आने वाला अपग्रेडेशन का बजट डिस्ट्रिक्ट स्टेट लेवल पर फंसा पड़ा है।

 

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स्टार प्रोजेक्ट में लगाई है शर्त

 

हिमाचल में स्कूलों का स्तर सुधारने के लिए विश्व बैंक के तहत स्टार प्रोजेक्ट चलाया गया है ।जिसमें करोड़ों का बजट मिला है। स्टार प्रोजेक्ट के तहत ये शर्त लगाई गई है कि मात्र एक ही बैंक नोडल एजेंसी के तहत कार्य रूप में होगी। जिसके तहत स्कूलों में बैंक के तहत खाते खुलनेे चाहिए। जो नहीं खोले गए है। 

 

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 ये उठे हैं सवाल

 

सवाल ये खड़े हुए हैं कि आखिर समग्र शिक्षा के तहत निजी बैंक को नोडल एजेंसी के रूप में जिम्मेदारी क्यों सौंपी गई है ? हिमाचल में कई सरकारी बैंक सक्रिय है। लेकिन समग्र शिक्षा ने निजी बैंक को क्यों जिम्मेदारी दी। यह सवाल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान उठा चुके हैं।बल्कि अभी संबंधित बैंक अपनी शाखाएं कई स्कूलों में क्यों नहीं खोल पाई है?

 

 

 

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किधर अटका का पैसा

 

स्टार प्रोजेक्ट के तहत लाखों का बजट हिमाचल को आया है। यह 5 वर्ष का प्रोजेक्ट है जिसमें लगभग 2 वर्ष इस प्रोजेक्ट को हिमाचल में हो गए हैं। तीसरा वर्ष भी खत्म होने की कगार पर है । इसका लगभग 50 करोड़ भी अभी खर्च हिमाचल नहीं कर पाया है ।अब ऐसे में स्कूलों तक भी बजट नहीं पहुंच पा रहा है और यह पैसा स्टेट, डिस्ट्रिक्ट स्टेट लेवल फंसा पड़ा है।

Deepika Sharma

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