“इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क” के सिद्धांत को हिमाचल प्रदेश के अंदर लागू किया जाए
9000 करोड़ हिमाचल सरकार को मिल जाता है तो इस पैसे से हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के हित पूरे हो जाएंगे l

आज हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ की प्रेस वार्ता का आयोजन जश्न होटल मॉल शिमला पर किया गया जिसमें मुख्यत:प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान, संरक्षक डी पी शर्मा, हेडक्वार्टर सेक्रेटरी मदन प्रेमी तथा जिला शिमला के प्रधान तारा चंद शर्मा मुख्य रूप से उपस्थित रहे l
प्रेस वार्ता में मुख्यत: कांटेक्ट टीचर्स की भर्तियों lको लेकर हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के द्वारा 2017 में किए गए कोर्ट केस और उस पर माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा जो आदेश पारित हुए है, उस पर चर्चा की गई इसके अतिरिक्त अन्य कई ज्वलंत मुद्दों पर भी बातचीत हुई। प्रेस वार्ता में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कर्मचारी और शिक्षकों की कॉन्ट्रैक्ट पर भर्तियों को लेकर हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ 2010 से लेकर लगातार अपनी आवाज उठाता रहा है. जैसे ही मुझे 2013 में प्रदेश अध्यक्ष चुना गया वैसे ही हमने इस लड़ाई को और तेज किया और नियमित पदों पर और एक जैसे काम के लिए नियमित भर्तियों और बराबर वेतनमान देने की लगातार सरकार से मांग की l
जब यह बात सिरे नहीं चढ़ी तो 2017 में हमने इन शिक्षकों के हित में हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के नाम से ट्रिब्यूनल में एक याचिका दायर की जो बाद में 2020 में माननीय उच्च न्यायालय में तब्दील हुई जिसे CWPOA 1453 of 2020 के तहत माननीय उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया और इस याचिका में संगठन की ओर से यह आपत्ति दर्ज की गई कि जब नियमित पदों पर और एक जैसी सेवा शर्तों पर शिक्षकों को लगाया जा रहा है और उनसे एक जैसा काम लिया जा रहा है तो उनमें वेतनमान में कोई अंतर नहीं होना चाहिए. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश में जिसमें कहा गया था कि इक्वल वर्क का इक्वल पे , इसके तहत यह मांग की गई कि इस इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क के सिद्धांत को हिमाचल प्रदेश के अंदर लागू किया जाए और सभी को नियमित भर्तियां देकर एक बराबर वेतनमान दिया जाए ताकि अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों और शिक्षकों का शोषण ना हो इस याचिका पर 13 मई 2024 को माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ में माननीय न्यायाधीश जस्टिस अजय मोहन गोयल की बैंच से एक आदेश पारित हुआ है जिसमें सभी वर्गो के शिक्षकों को उनके प्रथम नियुक्ति से वित्तीय लाभ देकर उन्हें नियमित किया जाए तथा साथ ही उन्हें वरिष्टता का भी लाभ दिया जाए इस आदेश में है कहा गया है कि जिस डेट से यह याचिका फाइल की गई है इस तिथि से इन शिक्षकों को मॉनिटरी बेनिफिट दिए जाएं. 6 महीने के अंदर इन कर्मचारियों को मॉनेटरी बेनिफिट देने की बात माननीय न्यायालय ने की है वह सब शिक्षक जो हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के मेंबर है वह सभी इस के हकदार है हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने इस ऐतिहासिक फैसले के लिए माननीय उच्च न्यायालय का आभार व्यक्त करता है और उम्मीद जताई है कि हिमाचल सरकार जो कर्मचारी हितेषी है वह अवश्य ही इस निर्णय को कर्मचारी हित में लागू करेंगे वैसे भी हिमाचल सरकार के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी हमेशा ही कर्मचारियों के हित में लगातार फैसले लेते रहते हैं और कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी को लेकर भी उन्होंने कई बार बड़े बयान दिए हैंl
चौहान ने कहा कि हमें उम्मीद है कि शीघ्र ही हिमाचल से कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी खत्म हो जाएगी और अनुबंध पर लगे सभी शिक्षक और कर्मचारियों को लाभ मिलेंगे इसके अतिरिक्त चौहान ने कहा कि हमने 4_9_14 टाइम स्केल को लेकर भी 2014 में माननीय न्यायालय में एक बड़ी याचिका दायर की है जिसमें मांग की गई है कि जो 4_9_14 की वास्तविक नोटिफिकेशन है जिसमें कर्मचारियों को cadre based लाभ मिलना चाहिए था उसको बाद में बदलकर करियर based कर दिया गया और पदोन्नति और रिवीजन आफ ग्रेड पे 2012 को भी उसमें जोड़ा गया है जो तर्कसंगत नहीं है इसके खिलाफ हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ वीरेंद्र चौहान की अगुवाई में माननीय न्यायालय में याचिका दायर कर चुका है जिसका निर्णय शीघ्र ही आने वाला है इस निर्णय से हर कर्मचारी को आने वाले समय में लाभ पहुंचेगा l
चौहान ने कहा कि हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ हमेशा ही कर्मचारी हित में सरकार से डायलॉग के माध्यम से अपनी बात को मनवाता रहा है जहां जरूरत पड़ी वहां संघर्ष भी किया और जहां न्यायालय जाने की आवश्यकता हुई वहां न्यायालय के माध्यम से भी कर्मचारी का पक्ष रखा है और बड़ी जीत हासिल की है इसलिए सभी वर्गों के शिक्षकों से आग्रह है कि कर्मचारी और शिक्षक व शिक्षार्थी हित में इस संगठन में अपना विश्वास बनाए रखें और आगे आकर संगठन को मजबूत बनाने में अपना योगदान दे क्योंकि कोई भी संगठन तब तक जिंदा रहता है जब तक उसके सदस्य उस संगठन पर विश्वास करते हैंl
चौहान ने प्रेस वार्ता के दौरान अपनी बेगुनाही के सबूत भी मीडिया के माध्यम से दिए जिसमें उन्होंने चंद स्वयंभू लोगों के ऊपर भी खुलकर प्रहार किया जो सोशल मीडिया के माध्यम से उनके ऊपर प्रश्न चिह्न खड़ा करते रहे हैं. चौहान ने कहा कि मुझे किसी से अपनी बेगुनाही और ईमानदारी का सबूत नहीं लेना है माननीय न्यायालय के द्वारा मेरी बेगुनाही और ईमानदारी को ले कर एक आदेश पारित किया गया है जिसमें CIS number 691 / 2022 जिसका निर्णय 1.10.2012 को सीनियर सिविल जज कोट नंबर 1 जिला शिमला के द्वारा आदेश पारित किया गया जिसमें कहा गया है कि सभी एक्सपेंडिचर स्टेटमेंट को ऑन रिकॉर्ड प्रोड्यूस करके यह पाया गया कि वीरेंद्र चौहान ने अपने पर्सनल गैन के लिए किसी तरह के फंड्स का मिसयूज नहीं किया है आज जब इस तरह के आदेश माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा कर्मचारी हित में हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष द्वारा कराए गए हैं तो सभी को यह एहसास हो गया होगा कि वास्तव में कौन सा कर्मचारी नेता और कर्मचारी संगठन शिक्षको और कर्मचारियों के लिए वचनबद्ध है और साथ ही भविष्य में भी हम कर्मचारियों के सभी मुद्दों को जिसमें प्रमुखता से न्यायालय के द्वारा जो आदेश पारित हो रहे हैं उन्हें अमली जामा पहनाना व अन्य वित्तीय मामले तथा शिक्षकों की भर्तियों और पदोन्नतियों सहित सभी मुद्दों पर लगातार संघर्ष करते रहेंगे और साथ ही भारत सरकार से एनपीएस साथियों का 9000 करोड़ का अंशदान जो एनएसडीएल के पास फंसा है उसे वापस लाने में लगातार काम करते रहेंगे जिससे कर्मचारियों की अदायगी जो अनुबंध सेवाओं के द्वारा मिलने वाले लाभ या फिर 4_9_14 के लाभ या डी ए की अदायगी या एरिया के रूप में मिलने वाली सभी लाभों के भुगतान के लिए सरकार को लाभ पहुंचाएगी l
चौहान ने कहा कि यदि यह 9000 करोड़ हिमाचल सरकार को मिल जाता है तो इस पैसे से हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के हित पूरे हो जाएंगे l



