जितना छोटा बच्चा हो उसे पढ़ाने के लिए उतने अधिक प्रभावी प्रशिक्षण की आवश्यकता
जेबीटी तथा बी एड के फेसले के बाद प्रदेश भर में डी एल एड प्रशिक्षुओं ने विरोध प्रदर्शन

जेबीटी तथा बी एड के फेसले के बाद प्रदेश भर में डी एल एड प्रशिक्षुओं ने विरोध प्रदर्शन किया। शामलाघाट स्थित डाईट संस्थान के प्रशिक्षुओं का कहना है कि जेबीटी में बाल मनोविज्ञान तथा शैक्षणिक सिद्धांत पूर्णतया 5-11 वर्ष के बालकों पर आधारित रहते हैं। छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए जिन कलापों , पाठ्य सहगामी क्रियाओं की आवश्यकता होती है उन्हे केवल प्रशिक्षण आधार पर ही पाया जा सकता है । जबकि बी एड में हम 11 -18 वर्ष के बच्चों के मनोविज्ञान को सीखते हैं ।
यह सरलता से समझा जा सकता है कि जितना छोटा बच्चा हो उसे पढ़ाने के लिए उतने अधिक प्रभावी प्रशिक्षण की आवश्यकता है । अतः यह निर्णय शैक्षिक सिद्धांतो के विपरीत है जिसके कारण सरकार से आग्रह है की शीघ्रातिशीघ्र मध्यस्थता करे।
यदि बी एड करके प्राथमिक शिक्षक बन सकते हैं तो समस्त जेबीटी संस्थानों में ताले लगाकर व्यर्थ का व्यय बचाया जा सकता है ।
इसी के विरोध में समस्त प्रदेश में डी एल एड प्रशिक्षुओं नें कक्षाओं का बहिष्कार किया । साथ ही उग्र आन्दोलन की चेतावनी भी दी है।



