
21 सितम्बर, 2025
सोलन जिला के डुमैहर पंचायत में रविवार को स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश का जागरूकता शिविर लगाया गया। इसका आयोजन
गोयल इलेक्ट्रिकल एंड हार्डवेयर स्टोर ने किया। ग्रामीण लोगों को अंगदान की महत्वत्ता के बारे में बताया गया। सोटो के ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर नरेश ने बताया कि अंगदान करने से एक समय पर आठ लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। यह केवल ब्रेन डेड की स्थिती में संभव होता है जब मरीज वेंटिलेटर पर होता है और आर्टिफिशियल ऑक्सीजन के जरिए उसके ऑर्गन काम कर रहे होते हैं। वहीं साधारण मृत्यु के बाद नेत्रदान संभव है। उन्होंने कहा कि बिगड़ी जीवन शैली और खराब खान-पान के चलते लोगों के अंग तेजी से फेल होते जा रहे हैं। ऐसे में लाखों लोगों को ऑर्गन की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि ब्रेन डेड की स्थिति कोमा से बिल्कुल अलग होती है इसमें शरीर वेंटीलेटर के जरिए काम कर रहा होता है और ब्रेन पूरी तरह से मृत हो चुका होता है। हर साल दर्जनों लोग अलग-अलग दुर्घटनाओं के कारण ब्रेन डेड होते हैं जो कि अंगदान के लिए सक्षम होते हैं। उन्होंने बताया कि हर साल 2 लाख मरीजों को किडनी की जरूरत होती है जबकि महज 10 हजार ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। वहीं देश में हर साल 30 हजार व्यक्तियों को लीवर की जरूरत होती है जबकि 2 हजार ट्रांसप्लांट ही होते हैं। इसके अलावा प्रतिवर्ष 10 लाख लोगों को आंखों की जरूरत होती है लेकिन महज 50 हजार नेत्र ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। देश में अंगदान व नेत्रदान के प्रति जागरूकता ना होने के कारण ऐसा हो रहा है। उन्होंने बताया कि अंगदान किसी भी जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, व आयु के लोग कर सकते हैं।
उन्होंने लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि अपने अंगों एवं उत्तकों को दान करने की प्रतिज्ञा लें। अपने परिवार के समक्ष अपने अंगों को दान करने की इच्छा जाहिर करें क्योंकि मृत्यु की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के समय अंगों एवं उत्तकों को दान करने के लिए, उसकी सहमति आवश्यक है।
कार्यक्रम में डेंटल कॉलेज शिमला की ओर से करीब 80 लोगों के दांतों का चेकअप भी किया गया। वहीं पूर्व डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन हिमाचल प्रदेश व पूर्व प्रिंसिपल आईजीएमसी डॉ एल एस पॉल ने भी करीब 200 लोगों की स्वास्थ्य जांच की। इस मौके पर कम्युनिटी मेडिसिन विभाग आईजीएमसी के डॉ अमित सचदेवा और असिस्टेंट कंट्रोलर फाइनेंस गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज शिमला नरेश कुमार विशेष रूप से मौजूद रहे।



