डॉ.विजय लक्ष्मी नेगी के पहले कविता संग्रह “गांव पूछता है” का लोकार्पण

आज शिमला के ऐतिहासिक गेयटी सभागार में हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा पुस्तक लोकार्पण समारोह का भव्य आयोजन किया गया जिसमें वरिष्ठ लेखिका डॉ.विजय लक्ष्मी नेगी के पहले कविता संग्रह “गांव पूछता है” का लोकार्पण मुख्य अतिथि डॉ.पंकज ललित, हिमालय मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट, विशिष्ट अतिथि डॉ हेमराज कौशिक, वरिष्ठ आलोचक और संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा डॉ.विद्या सागर शर्मा और आभी प्रकाशन के निदेशक जगदीश हरनोट के कर कमलों द्वारा लगभग 70 लेखकों और साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में किया गया। यह जानकारी आज एक प्रैस विज्ञप्ति में हिमालय मंच के अध्यक्ष और लेखक एस आर हरनोट द्वारा मीडिया को दी गई। उन्होंने अपने स्वागत वक्तव्य में मंच सहित सभी उपस्थित लेखकों और साहित्य प्रेमियों का स्वागत किया और विजय लक्ष्मी नेगी को इस पहले कविता संग्रह के लिए बधाई दी। यह गेयटी में हिमालय मंच का इस वर्ष का ग्यारहवां आयोजन था।
मुख्य अतिथि डॉ पंकज ललित ने विजय लक्ष्मी नेगी की कविताओं को बहुत सहज और गहरी कविताएं बताया जो दिल में उतरती है। लेखक का सहज और सरल होना महत्वपूर्ण है जिस पर गांव पूछता है संग्रह खरा उतरता है। ललित जी ने हिमालय मंच के इस भव्य आयोजन की प्रशंसा की। उन्होंने आगे कहा कि विभाग ने 30 साहित्यिक संस्थाओं को तीन वर्ष पूर्व गेयटी थियेटर सभागार में निःशुल्क कार्यक्रम करने की दृष्टि से पंजीकृत किया था परंतु इस कसौटी पर केवल दो तीन संस्थाएं खाती उतरी है जिसमें हिमालय मंच द्वारा अब तक तीस से अधिक बहुत बेहतर आयोजन किए हैं। उन्होंने आग्रह किया कि संस्थाएं खुले मन से इस सुविधा का प्रयोग करें।
हरनोट ने जानकारी दी कि इस संग्रह पर युवा लेखिका और फिल्म निर्माता डॉ देव कन्या ठाकुर और चंबा से पधारे युवा समीक्षक प्रशांत रमण रवि ने विस्तार से अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए। विजय लक्ष्मी नेगी ने मंच और उपस्थित श्रोताओं का आभार व्यक्त किया और प्रकाशित संग्रह में से कई कविताओं का पाठ भी किया। डॉक्टर हेमराज कौशिक और डॉक्टर विद्यासागर शर्मा ने भी विस्तार से अपनी अपनी बात कही। मंच का संचालन अपनी सारगर्भित साहित्यक टिप्पणियों के साथ युवा आलोचक और कवि डॉ सत्यनारायण स्नेही ने किया। हिमालय मंच और विजय लक्ष्मी नेगी ने अतिथियों और वक्ताओं का हिमाचली शॉल, मफलर, टोपी और किन्नौर परंपरा के विशेष वस्त्र खतक पहनाकर सम्मान और स्वागत किया।




