संस्कृति

एस.आर.हरनोट के उपन्यास नदी रंग जैसी लड़की का लोकार्पण

बड़े कथाकार हैं हरनोट। उनका विजन बड़ा है और भाषा की चमत्कारिक पकड़ उनके पास मौजूद है-प्रो.सूरज पालीवाल

 

 

 

आज शिमला रोटरी क्लब टाउन हॉल में हिमाचल क्रिएटिव राइटर्स फोरम द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रसिद्ध कथाकार एस.आर.हरनोट के वाणी प्रकाशन से प्रकाशित उपन्यास “नदी रंग जैसी लड़की” का लोकार्पण मुख्य अतिथि श्री राकेश कंवर, सचिव भाषा एवं संस्कृति, हिमाचल प्रदेश सरकार तथा साहित्य जगत के दो बड़े लेखकों प्रो.अब्दुल बिस्मिल्लाह (प्रख्यात उपन्यासकार) और प्रो.सूरज पालीवाल(प्रख्यात आलोचक) ने अपने कर कमलों से किया।

प्रो.बिस्मिल्लाह ने इस संगोष्ठी की अध्यक्षा की जबकि मुख्य वक्ता प्रो. सूरज पालीवाल थे। परिचर्चा में अन्य वक्ताओं में डॉ.राजेंद्र बड़गूजर, डॉ. नीलाभ कुमार, प्रशांत रमन रवि और जगदीश बाली ने उपन्यास पर बहुत ही सारगर्भित वक्तव्य दिए। यह जानकारी क्रिएटिव राइटर फोर्म के अध्यक्ष व सेतु साहित्यिक पत्रिका के संपादक डॉ.देवेंद्र गुप्ता ने आज शिमला में मीडिया को दी।

 

इस अवसर पर प्रो.अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि एस.आर.हरनोट का यह उपन्यास वास्तव में प्रकृति  की नैसर्गिकता में अमानवीय हस्तक्षेप की कथा है। प्रकृति कभी अप्रकृति नहीं हो सकती। वह निसर्ग से उदभूत है। इसलिए नैसर्गिक ही रहती है। जैसे इस उपन्यास की मुख्य पात्रा सुनमा देई है। उन्होंने आगे कहा कि सुनमा सिर्फ एक स्त्री नहीं है। प्रतिकार्थ में वह मात्र एक नदी भी नहीं है। सुनमा है प्रकृति और उसे ध्वस्त करने के लिए सामने खड़ा हैं व्यवस्था-तंत्र का पुरुष। यहां जय या पराजय का कोई मतलब नहीं है।उसका कोई महत्व भी नहीं है। महत्व है उस संघर्ष का, उस जद्दोजहद का, जिसका बीड़ा स्वयं प्रकृति ने उठाया है। प्रकृति यानी स्त्री(सुनमा) और स्त्री यानी प्रकृति।

 

मुख्य वक्ता प्रो.सूरज पालीवाल ने अपने उद्भोधन में कहा कि हरनोट हिन्दी के विरले कथाकार हैं जिनके पास हिमाचली जीवन की अछूती और अनूठी कथाओं का भरा-पुरा खजाना है। हरनोट को बधाई देते हुए पालीवाल ने कहा कि अपने नए उपन्यास में हरनोट ने पर्यावरण, पानी और स्त्री की समस्या को गहरे रूप में उठाया है । हिंदी में परंपरा है और यह परंपरा बहुत बड़े लेखकों के साथ जुड़ी हुई है कि वे अपनी एक रचना से जाने जाते हैं लेकिन हरनोट ने उस परंपरा को तोड़ा है इसलिए वे हिडिंब जैसे महत्वपूर्ण और चर्चित उपन्यास की सीमाओं से बाहर गए हैं, उन्होंने उन हदों का अतिक्रमण किया है, जिसे बड़े से बड़े लेखक नहीं कर पाए। इसीलिए हरनोट बड़े कथाकार हैं, उनका विजन बड़ा है और भाषा की चमत्कारिक पकड़ उनके पास मौजूद है।

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उच्च अध्ययन संस्थान के विजिटिंग फेलो  डॉ. नीलाभ ने एस.आर.हरनोट के नए उपन्यास ‘नदी रंग जैसी लड़की’ पर परिचर्चा करते हुए कहा कि यह उपन्यास अपने ‘कहन’ के जिस सरलतम और सहजतम रूप से हमें परिचित कराता जान पड़ता है, वह समकालीन हिंदी कथा संसार में अनूठा है ।

 

एस.आर.हरनोट रचित ‘नदी रंग जैसी लड़की‘  उपन्यास पर अपनी बात रखते हुए उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में बतौर स्थायी फैलो डॉ. राजेन्द्र बड़गुजर ने कहा कि उपन्यास का फलक हिमाचल प्रदेश की लोक संस्कृति, विरासत और उसमें भयावह बदलावों को समेटे हुए हैं। उपन्यास को पढ़ते हुए हिमाचल प्रदेश की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थितियों से रूबरू हुआ जा सकता है। इसमें मुख्य पात्र सुनमा और शतद्रु नदी परस्पर पर्याय बन गई है।

 

युवा आलोचक प्रशांत रमण रवि ने अपने वक्तव्य में कहा कि हरनोट का सद्यः प्रकाशित उपन्यास  ‘नदी रंग जैसी लड़की’ मौजूद समय में पर्यावरण संकट और स्त्री-विमर्श को केंद्र में रखकर लिखी गई एक महत्वपूर्ण कृति है। पिछले कुछ दशकों में मनुष्य का पहला सबसे बड़ा पतन यह हुआ कि वह प्रकृति से शत्रुवत व्यवहार करने लगा तो दूसरा पतन यह हुआ कि मनुष्य से व्यक्ति बनते चले जाने की उसकी प्रक्रिया और तेज होती गई।

 

जगदीश बाली ने उपन्यास पर चर्चा करते हुए कहा कि एस आर हरनोट का उपन्यास नदी रंग जैसी लड़की‘ उनके पहले उपन्यास ‘हिडिंब‘ व अन्य कहानियों की तरह सामाजिक व राजनैतिक सरोकारों को आवाज आवाज देती हुए एक बेहतरीन पेशगी है। यह उपन्यास इस बात की बानगी है कि लेखक मानव द्वारा प्रकृति, विशेश रूप से, नदियों के गैर जिम्मेदाराना दोहन के प्रति चिंतित व क्षुब्ध है।

 

डॉ. देवेन्द्र गुप्ता अध्यक्ष क्रिएटिव राइटर फॉर्म ने मुख्य अतिथि, कार्यक्रम के अध्यक्ष अब्दुल बिस्मिल्लाह, मुख्य वक्ता आलोचक सूरज पालीवाल व अन्य वक्ताओं का फोरम की और से हिमाचली टोपी, मफलर और विशेष आदरसूचक खतक से स्वागत करते हुए इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में आने के लिए विशेष आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक साहित्यिक सम्मलेन है और इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से हम हमारे समय की नवीन वास्तविकताओं को और भी नजदीकी से समझेंगे.

 

उन्होंने प्रसन्नता जाहिर की कि पहले फॉर्म ने हरनोट की रचनाशीलता पर सेतु साहित्यिक पत्रिका का विशेषांक केंद्रित किया और अब उनके महत्वपूर्ण उपन्यास का लोकार्पण कर रहे हैं।

खचाखच भरे रोटरी टाउन हाल में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये लगभग 150 लेखकों सहित स्थानीय लेखक, रंग कर्मी, शोद्धार्थी और हरनोट की पंचायत के बहुत से साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का मंच संचालन युवा कवि आलोचक डॉ.सत्यनारायण स्नेही जी ने खूबसूरत अंदाज और सारगर्भित टिप्पणियों के साथ किया।

 

 

Deepika Sharma

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