

रिटायर्ड मेजर जनरल एके शौरी
विदुर नीति (7)
विदुर की पांच बातें
अपनी सलाह और ज्ञान की बातों को आगे बढ़ाते हुए, विदुर ने आगे पांच चीजों, कृत्यों और मुद्दों के बारे में बताया। उनका कहना है कि जो व्यक्ति इन पांच लोगों का आदर, सम्मान और देखभाल करता है, वह अपने जीवन में हमेशा गौरव पाता है। ये पांच हैं देवता, बुजुर्ग जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, एक अजनबी जो बिना बताए किसी के घर आता है, मानव और एक साधु। अब यहाँ देवता से उनका तात्पर्य उन लोगों से है जो पवित्र, ईमानदार और दुर्भावनाओं से दूर हैं। देवता हमें प्रेरणा, आत्मविश्वास और नैतिक शक्ति देते हैं। हम उनकी संगति में सांत्वना चाहते हैं। बुजुर्ग घर और समाज के स्तंभ होते हैं बड़ों ने दुनिया देखी है, अनुभव से भरपूर हैं और किसी भी विपरीत परिस्थिति में छोटों के लिए मार्गदर्शक बन सकते हैं। इसलिए उनकी बात सुनी जानी चाहिए, उन पर ध्यान दिया जाना चाहिए और उन्हें उचित आदर और सम्मान दिया जाना चाहिए र वे अब इस दुनिया में नहीं हैं इसलिए उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाना चाहिए। जो व्यक्ति बिना किसी पूर्व सूचना के किसी के यहां आता है, इसका मतलब है कि वह संकट में है और उसे मदद की जरूरत है, उन्हें विश्वास और भरोसा है कि उनका ख्याल रखा जाएगा इसलिए ऐसे व्यक्ति का ध्यान रखा जाना चाहिए। देखा जाए तो ये सभी पवित्र आत्माएं हैं जो उचित आदर और सम्मान के पात्र हैं। यदि कोई उनकी देखभाल करता है तो इसका मतलब है कि वह स्वंय भी एक पवित्र आत्मा है और उसे जीवन में उचित श्रेय मिलेगा। विदुर आगे कहते हैं कि पाँच श्रेणियाँ हैं जिनका सम्मान भी किया जाना चाहिए और एक तरह से उनकी पूजा की जानी चाहिए। ये पांच हैं पिता, माता, यज्ञ में जलने वाली अग्नि, स्वयं की चेतना और गुरु। तार्किक रूप से अगर हम देखें तो माता-पिता ही हैं जो इस दुनिया में एक इंसान के अस्तित्व के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें आदर और सम्मान की सर्वोच्च श्रेणी मिलती है। उनके बाद, शिक्षक या गुरु ही मनुष्य को आकार देते हैं, जो उसे पहचाने जाने लायक इंसान बनाते हैं। कहते हैं गुरु भगवान से भी बड़ा होता है, गुरु ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को आकार देता है और उसके अनुसार ही वह अपना जीवन व्यतीत करता है। कोई भी अपने गुरु की प्रारंभिक शिक्षाओं को कभी नहीं भूलता क्योंकि मनुष्य एक कोरी स्लेट की तरह है जिस पर उसके गुरु शब्द लिखते हैं। सबसे महत्वपूर्ण चीज़ मनुष्य की चेतना है जो जीवन भर उसका मार्गदर्शन, नियंत्रण और सलाह देती है। चेतना सदैव मनुष्य को मार्गदर्शन, सलाह और सही संकेत देती है। बाह्य रूप से मनुष्य किसी भी प्रकार का हो सकता है लेकिन उसकी आंतरिक चेतना भी उसे सही संकेत देती है।




