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असर पर बेबाक आवाज़
आदरणीय श्रीमान, आप जिस अधिष्ठान पर हैं वहां से महिलाओं को उनके वास्तविक अधिकारों का प्रावधान सुनिश्चित कर सकते हैं, जैसे के प्रत्येक क्षेत्र चाहे सरकारी हो या निजी। निजी क्षेत्र में कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां महिलाओं को विवाह तथा गर्भावस्था में नौकरी ही छोड़नी पड़ती है और यह हाल संगठित क्षेत्र के उद्यमों का है जिसमें बड़े बड़े अख़बार और मिडिया हाउस भी शामिल हैं इसके अलावा सरकारी क्षेत्र मसलन परिवहन निगम में जहां पर्याप्त परीक्षण होने के बाबजूद महिला चालक को वोल्वो जैसी सर्विस में अवसर न देना जबकि इसी महिला दिवस के अवसर पर भारत सरकार ने विश्व की सबसे लंबी उड़ान नई दिल्ली से सेन फ्रैंसिस्को की पहली फ्लाइट के लिए संपूर्ण महिला पायलट दल को नियुक्त किया था। श्रीमान हिमाचल नहीं आज देश के किसी भी राज्य को औपचारिक मुख्यमंत्री नहीं चाहिए जिनमें एक जाए दूसरा आए सिर्फ़ पार्टी बदले और आते ही केवल मुनाफे वाले सरकारी उद्यमों पर नई पार्टी के कार्यकर्ता कब्ज़ा कर लें । सोशल मिडिया पेज बनाना और उस पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विवाह समारोहों और इस तरह के पौधारोपणों में शिरकत कर विवरण प्रस्तुत करना एक आम मनुष्य की कार्यशैली का हिस्सा हो सकता है परन्तु जो पवित्र सुयोग आपको संविधान से मिला हैं उसकी प्रतिष्ठा के अनुरूप तो आपका या किसी भी मुख्यमंत्री का पेज पांच वर्ष के कार्यकाल के बाद प्रकाशित होना चाहिए जिसमें उसकी शौर्य गाथा का श्रेष्ठ गुणगान हो यदी वह अवधि उतनी रचनात्मक रही हो ।

