प्री प्राइमरी में बच्चों से शिक्षक को करनी होगी उनकी भाषा, बोली में बात
यदि पहाड़ी बोलते है बच्चे तो इसमे भी करनी होगी बात
हिमाचल में छोटे बच्चों को प्री प्राइमरी में बेहतर शिक्षा मिले और राज्य में बच्चों का ग्राफ भी प्री प्राइमरी में
बढ़े इसके लिए समग्र शिक्षा में एक फरमान जारी किया है। जिसमें शिक्षकों को कहा गया है कि यदि छोटा बच्चा अपने घर में जिस बोली में भी बात करता है तो शिक्षक भी उससे पहाड़ी बोली में बात करें।
जिस भी भाषा में छोटा बच्चा अपनी शिक्षक से बात करने में सहज महसूस करें उसी भाषा में शिक्षकों को बच्चे से बात करनी होगी। समग्र शिक्षा के मुताबिक प्री प्राइमरी का दायरा हिमाचल में काफी बढ़ रहा है लिहाजा बच्चे भी काफी संख्या में पढ़ने आ रहे हैं बच्चों को क ख ग का पाठ आसानी से समझ आ सके इसके लिए शिक्षक और बच्चों के बीच की दूरी जिसमें मुख्य तौर पर भाषा शामिल रहेगी इसे लेकर समग्र शिक्षा ने अपने फरमान जारी किए हैं।
छोटे बच्चो के साथ बात अत्यधिक उन्हीं की भाषा में बात करने के निर्देश समग्र शिक्षा ने दिए है । जानकारों का कहना है कि छोटे बच्चो के साथ अत्यधिक उन्हीं की भाषा में बात करनी चाहिए ताकि छोटे बच्चों को ऐसा न लगे कि वह अनजान लोगों के बीच में है।
जिसके बाद छोटे बच्चे भी धीरे – धीरे किसी दूसरी भाषा को बोलने के लिए प्रेरित होंगे। अध्यापको को भी अत्यधिक बच्चों की ही भाषा में बात करनी होगी। जिसके कारण बच्चों के दिमाग़ पर भी ज्यादा जोर भी नहीं पड़ेगा।
उनकी बोली में होगा मनोरंजन
छोटे बच्चों को भी विभिन्न प्रकार के मनोरंजन करवाने के लिए कहा गया है। जिसमें गीत, नाटी, कविता आदि को उनकी बोली में करवाने के निर्देश है। इन सभी से बच्चों को जीवन मे कुछ नया सीखने के लिए मिलता हैं।


