
हिमाचल के अस्पतालों के अपने एसटीपी होने की योजना फाइलों में कैद हो कर रह गई है। ये ऐसे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होंने थे, जिसे खासतौर पर बायोमेडिकल वेस्ट के निष्पादन को लेकर अस्पतालों में ही शुरू किया जाना था। ऐसा पहली बार हिमाचल करने जा रहा था जिसमें अस्पतालों से संक्रमण को निपटाने के लिए राज्य के अस्पतालों में एसटीपी का निर्माण किया जाने वाला था।
अभी पीसीबी और एमसी के तहत एसटीपी चल रहा है, लेकिन जब अस्पतालों के बायोमेडिकल वेस्ट की गंभीरता को देखा गया, तो उसके निष्पादन की बात सामने आई थी। इस अहम विषय को लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम गुजरात भी जा चुकी है, जिसमें वह अस्पतालों में स्थापित एसटीपी की जायजा ले रही थी। इसमें चैक किया जा रहा था कि अस्पतालों में स्थापित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट किस तरह से काम कर रहा है।
देखा जाए तो प्रदेश से तरल संक्रमण को लेकर कई नोटिस जारी किए गए हैं, जिसमें प्रदेश के तीन सौ अस्पतालों से लिक्विड बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर जवाब तलब किया भी जा चुका है यह कार्रवाई प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई थी।
हिमाचल के अस्पतालों की स्थिती पर गौर करें तो हिमाचल के मेडिकल कालेजों की संख्या भी प्रदेश में अब बढ़ी है। हालांकि अभी पीसीबी बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर पूरी तरह नजर रखे हुए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर पर यह कड़ी नजर रखने वाला था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, जिस बाबत अभी उन अस्पतालों को कार्यक्रम के पहले चरण में शामिल किया जाने वाला था, जहां पर आपरेशन ज्यादा होते हैं। गौर हो कि आपरेशन के समय भी कई ऐसा संक्रमित ब्लड निकलता है, जो बाद में बाहर निकलकर भी स्वास्थ्य के लिए काफी घातक रहता है।
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