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EXCLUSIVE: सवालों के घेरे में आया “हार्ट अटैक” पेशेंट्स का इलाज

शिमला के एक सिविल अस्पताल से मरीज को ईसीजी करके रेफर किया गया आईजीएमसी, अस्पताल में नहीं लगाया जीवन रक्षक इंजेक्शन

 

उठा सवाल: सिविल अस्पताल में क्यों नहीं लगाया गया जीवन रक्षक इंजेक्शन

 

दिल के दौरे से प्रभावित मरीज समय पर अस्पताल आए , इसे लेकर हिमाचल में कई कार्यक्रम और प्रोजेक्ट तो चल रहे हैं लेकिन यह कितने सिरे चढ़ पाते हैं इसका एक उदाहरण इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में  देखने में सामने आया है।

जानकारी मिली है कि एक मरीज को छाती में दर्द होने के कारण संबंधित नजदीक सिविल अस्पताल लाया गया। हालांकि संबंधित अस्पताल में मरीज का एक ईसीजी टेस्ट तो किया लेकिन उसे दिया जाने वाला जीवन रक्षक इंजेक्शन उसे नहीं लगाया ।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्या अस्पताल के पास यह इंजेक्शन उपलब्ध में नहीं था? और यदि था तो उसे इंजेक्शन को आखिर क्यों नहीं लगाया गया? बताया जा रहा है कि मरीज को तुरंत ही 50 किलोमीटर दूर इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज भेजने के लिए कहा गया।

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में मरीज को वह इंजेक्शन तो दे दिया गया जिससे मरीज का जीवन बच गया लेकिन इस मामले ने इस प्रोजेक्ट पर काफी सवाल खड़े कर दिए कि आखिर दिल के मरीजों को बचाने के लिए  जनता के लिए यह जागरूकता तो फैलाई जा रही है कि समय रहते अस्पताल आया जाए लेकिन जब अस्पताल में दिया जाने वाला जीवन रक्षक इंजेक्शन ही उसे संबंधित डॉक्टर नहीं दे पाएंगे तो उस जागरूकता का क्या औचित्य रह जाता है?

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ये लगाया जाता है इंजेक्शन

Inj. TNK( Tenectaplase)नाम का यह इंजेक्शन मरीज को उस समय दिया जाता है जब उसे दिल का दौरा पड़ता है, यानी कि इस इंजेक्शन को लगाने के बाद उसकी ब्लॉकेज खुल जाती है और मरीज की जान बच जाती है

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फिर जागरूक कार्यक्रम का क्या औचित्य?

यह मामला तो जिला शिमला के तहत ही सामने आया है लेकिन हिमाचल के दूरदराज के क्षेत्र में आखिर क्या हाल होता होगा यदि मरीज को नजदीकी अस्पताल में ही ये जीवन रक्षक इंजेक्शन नहीं मिल पाए?

 

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समय पर मरीज को अस्पताल पहुंचाना है जरूरी

दिल के दौरा पड़ने पर मरीज को अक्सर छाती में भारीपन और चक्कर आना पसीना आना जैसी परेशानियां सामने आती है ।यदि यह परेशानी मरीज को सामने आती है और वह समय पर अस्पताल आता है तो संबंधित डॉक्टर के मुताबिक उसकी जान बचाई जा सकती है लेकिन यदि मरीज जागरूक हो और उसे समय पर डॉक्टर ही उक्त इंजेक्शन नहीं दे पाए तो आखिर इसमें किसकी गलती?दिल का दौरा पड़ने से हर वर्ष सैकड़ो लोग लोग अपनी जान से हाथ धोते हैं।

 

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ई सी जी करके तुरंत दिया जा सकता है इंजेक्शन

सिविल अस्पताल में ये सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए की ईसीजी के साथ वह इस इंजेक्शन को भी मरीज को उस समय दे जब उसे उसकी आवश्यकता हो।हालाकि इस केस में क्या कारण रहा होगा इसका खुलासा जांच के बाद ही पता लगेगा। 

 

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आईजीएमसी का कार्डोयोलोजी विभाग  पूरी गंभीरता से इस विषय में   बहुत काम कर रहा है लेकिन यदि समय पर मरीज को ये  इंजेक्शन नहीं लग पाएगा तो संबंधित विभाग की मेहनत का क्या लाभ रह जाता है। 

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क्या कहा विभागाध्यक्ष ने

आईजीएमसी विभाग के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ पीसी नेगी का कहना है कि मामले की जांच की जाएगी। समय पर मरीज़ को ये इंजेक्शन लगाना आवश्यक है । इसमें क्या कारण रहा होगा पता किया जाएगा।

 

 

 

 

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