प्रधानमंत्री ने देश भर में महिलाओं की उद्यमिता के विकास का आह्वान किया

भारत में बड़ी संख्या में जनजाति समुदाय निवास करते हैं। वास्तव में जनजाति समुदाय हमारी कुल आबादी का 8 प्रतिशत हैं। जो बात उन्हें विशिष्ट बनाती है, वह है, आधुनिकीकरण की तेज गति के बावजूद, उन्होंने अपने जीवन के प्राकृतिक व सरल तरीकों को बचाए रखा है। उनकी कला, शिल्प, संगीत, नृत्य, भोजन, सभी उनके जीवन से जुड़ी विशिष्टता और समय से अप्रभावित रहने के गुण को दर्शाते हैं। दुर्भाग्यवश, यही उन्हें हाशिये पर रहने के लिए मजबूर करता है और समाज के वंचित वर्गों में शामिल कर देता है, क्योंकि उनके आजीविका के स्रोत प्राकृतिक वनोपजों या उनकी कला, शिल्प और हस्तशिल्प पर निर्भर हैं।
एक अनूठी पहल के तहत, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 8 मार्च को ट्राइब्स इंडिया की वेबसाइट से विभिन्न उत्पादों को खरीदकर, उनके “उद्यम, रचनात्मकता और भारतीय संस्कृति” के महत्त्व को रेखांकित किया। इसका उद्देश्य पूरे देश में आदिवासी महिलाओं के उद्यमिता-विकास तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान को प्रोत्साहन देना था। प्रधानमंत्री ने ट्राइब्स इंडिया की वेबसाइट से बेहतरीन उत्पाद खरीदे। भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महिलाओं की भूमिका के बारे में श्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, “भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, हमें महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने का संकल्प लेना चाहिए। श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा खरीदे गए उत्कृष्ट उत्पादों में शामिल हैं- तमिलनाडु की टोडा जनजाति के कारीगरों द्वारा तैयार कढ़ाई की हुई शॉल; मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में समनापुर तहसील की जनजातीय कलाकार श्रीमती सरिता धुरवी की गोंड पेंटिंग; पश्चिम बंगाल के संथाल जनजाति के कारीगरों द्वारा बनाया गया हस्तनिर्मित मैरून रंग का जूट फ़ाइल फ़ोल्डर; एक सूती खादी का स्टोल, जिसमें मधुबनी पेंटिंग की गयी है; नागालैंड का एक पारंपरिक शॉल; असम के काकटिपुंग विकास खंड के स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाया गया एक गमूसा और केरल की महिलाओं द्वारा निर्मित क्लासिक पाम क्राफ्ट निलाविलक्कू। खरीद का विवरण साझा करते हुए, प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट सन्देश में कहा, “परिवेश में और अधिक रंग भरना! हमारे जनजातीय समुदायों की कला शानदार है। इस गोंड पेपर पेंटिंग में, रंगों और रचनात्मकता का एक-दूसरे में विलय होता नज़र आता है। आज इस पेंटिंग को खरीदा #NariShakti । उन्होंने कहा, “मुझे केरल की महिलाओं द्वारा निर्मित क्लासिक पाम क्राफ्ट निलाविलक्कू प्राप्त करने का बेसब्री से इंतजार है। यह सराहनीय है कि किस प्रकार हमारी #NariShakti ने स्थानीय शिल्प और उत्पादों को संरक्षित और लोकप्रिय बनाया है।”
गोंड पेंटिंग को मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले के अंतर्गत समनापुर तहसील की एक जनजातीय शिल्पकार श्रीमती सरिता धुरवी ने चित्रित किया है।
इस पेंटिंग में शिल्पकार ने जीवंतता, मिट्टी के रंगों और उसकी जीवंत कल्पना के माध्यम से प्रकृति की उत्पत्ति का चित्रण किया है। मध्यप्रदेश का गोंड जनजातीय समुदाय जिस गोंड जनजातीय कला में पारंगत हैं, वह प्रकृति और लोगों के बीच घनिष्ठ संबंध को दर्शाती है। तमिलनाडु में नीलगिरि पहाड़ियों की टोडा जनजातियों द्वारा की जाने वाली कढ़ाई का उत्कृष्ट रूप भी समान रूप से महत्वपूर्ण और अपने आप में काफी अनोखा है। टोडा जनजाति मुख्य रूप से अपनी भैंस और उनके दूध पर निर्भर एक गडरिया समुदाय है, जो पिछले करीब 3500 वर्षों से पहाड़ों पर रह रहा है। टोडा कढ़ाई अब एक ऐसा उत्पाद है, जिसे जीआई टैगिंग के साथ जोड़ा गया है। ये कढ़ाई शॉल के अलावा अब डाइनिंग टेबल कवर, बेड कवर, बैग्स और अन्य उत्पादों की भी शोभा बढ़ाती है। सफेद पर लाल और काले रंग के धागे से की गई शिल्पकारी से ये कढ़ाई काफी सुंदर दिखती है। प्रधानमंत्री ने ‘पुथुकली’ नाम के जिस टोडा शॉल का ऑर्डर दिया है, उसे टोडा शिल्पकार श्रीमती मोनिषा ने डिजाइन किया है। वह तमिलनाडु के टोडा आदिम जनजाति से आती हैं। एक टोडा शॉल को तैयार करने में करीब तीन महीने का समय लगता है।



