संस्कृति

“भारत में तंत्र-मंत्र का सच: इतिहास, प्रमाण, अंधविश्वास और ढोंगी तांत्रिकों गुरुओं का खेल”

“तंत्र–मंत्र: आध्यात्मिक विज्ञान से अंधविश्वास तक—भारत का बदलता चेहरा”

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भारत में तंत्र–मंत्र का इतिहास, सत्य और अंधविश्वास:

महान तांत्रिक कौन थे और आज भ्रम फैलाने वाले कौन?**

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लेखक — असर मीडिया हाउस डेस्क
श्रेणी — संस्कृति / समाज / जागरूकता


🔵 परिचय

भारत में तंत्र-मंत्र सदियों से चर्चा, रहस्य और विवादों का विषय रहा है।
जहाँ एक ओर इसकी जड़ें प्राचीन आध्यात्मिक साधनाओं में पाई जाती हैं, वहीं दूसरी ओर आज तंत्र-मंत्र का नाम लेकर ढोंगी, कथित गुरु, व्यवसायी साधु, और यहां तक कि कुछ नेता भी लोगों की अज्ञानता का फायदा उठाते हैं।

नतीजा यह है कि—
सत्य आध्यात्मिक तंत्र और बाजारू अंधविश्वासी तंत्र के बीच फर्क खत्म हो गया है।

यह लेख उसी फर्क को स्पष्ट करने का प्रयास है।


🔵 1. तंत्र-मंत्र का वास्तविक अतीत – प्रमाण और इतिहास

1️⃣ तंत्र शब्द का अर्थ

“तंत्र” का अर्थ है—
विस्तार, विस्तार करने वाली विधा, और आत्म-अनुशासन का विज्ञान।

यह मूलत: तीन स्तंभों पर टिका था:

  • मंत्र (ध्वनि-ऊर्जा)

  • यंत्र (आकृति-ऊर्जा)

  • तंत्र (प्रक्रिया/साधना)

2️⃣ तंत्र की उत्पत्ति

तंत्र की परंपरा:

  • कश्मीर शैव दर्शन

  • बौद्ध वज्रयान (तिब्बती तंत्र)

  • त्रिपुरा-रहस्य, कुलाचार, श्रीविद्या

  • आगम-निगम साहित्य

  • नाथ परंपरा

इन सबसे विकसित हुई।

यह कोई जादू, टोना या डराने वाली क्रिया नहीं थी।
बल्कि शरीर–मन–ऊर्जा के गहन अध्ययन पर आधारित साधना-पद्धति थी।

3️⃣ ऐतिहासिक प्रमाण

तंत्र पर सबसे पुराने ग्रंथ:

  • विज्ञान भैरव तंत्र

  • कौलज्ञाननिर्णय

  • त्रिपुरा रहस्य

  • महानिर्वाण तंत्र

  • रुद्रयामल

  • शक्तिसंगम तंत्र

इनमें कहीं भी “भूत-प्रेत उतारना”, “वशीकरण”, “तोड़-फोड़”, “जादू से मार देना” जैसी बातें नहीं हैं।

तंत्र का उद्देश्य था:

  • चेतना का विस्तार

  • मानसिक क्षमता का विकास

  • ध्यान

  • उच्च साधना

  • प्रकृति के तत्वों से सामंजस्य


🔵 2. इतिहास के महान तांत्रिक – कौन थे ये?

🕉 1. मत्स्येंद्रनाथ

  • नाथ संप्रदाय के संस्थापक

  • तप, ध्यान और कुंडलिनी-योग के क्रांतिकारी साधक

🕉 2. गोरखनाथ

  • महान योगी

  • तंत्र और हठयोग को जनसाधारण तक पहुँचाया

  • चमत्कार नहीं, अनुशासन पर जोर

🕉 3. अबिनवगुप्त (10वीं सदी)

  • कश्मीर शैव तंत्र के महान दार्शनिक

  • तंत्रलोक के रचियता—तंत्र पर अब तक का सबसे बड़ा ग्रंथ

🕉 4. पीठों के सिद्ध तांत्रिक (कामाख्या, कालीघाट, जोजेश्वरी, तिब्बती परंपरा)

  • तंत्र को मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक और ऊर्जा-विज्ञान के रूप में विकसित किया

  • लोक कथाओं में इनका “अलौकिक” संस्करण फैलाया गया—पर मूलतः वे ध्यान-साधक थे

👉 महान तांत्रिकों ने कभी भी काला जादू, वशीकरण या भय फैलाने वाले तंत्र का समर्थन नहीं किया।


🔵 3. आज तंत्र-मंत्र को लेकर फैली गलत धारणाएँ

आज का समाज तंत्र-मंत्र को तीन चीजों से जोड़ता है:

❌ 1. वशीकरण – किसी को अपने बस में करना

यह पूरी तरह मनोवैज्ञानिक exploitation है, कोई तांत्रिक शक्ति नहीं।

❌ 2. काला जादू – दुश्मन को मारना/तोड़ देना

इसका न कोई वैज्ञानिक आधार है और न धार्मिक ग्रंथों में वैधता।

❌ 3. भूत-प्रेत उतारना

अक्सर ऐसी “घटनाएँ”
या तो मानसिक बीमारी
या भय/धोखे की तकनीकों का उपयोग होती हैं।

👉 शत-प्रतिशत वैज्ञानिक अध्ययनों में ऐसे दावों को मिथक पाया गया है।

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🔵 4. अंधविश्वास फैलाने में मुख्य जिम्मेदारी किसकी है?

आज तंत्र-मंत्र का सबसे बड़ा दूषण इन चार वर्गों से आया है:


1️⃣ स्वयंभू “गुरु” और ढोंगी बाबा

  • लोगों के डर का फायदा

  • वशीकरण–तोड़फोड़–काला जादू के नाम पर ठगी

  • पूजा-पाठ को व्यवसाय बनाना

  • मानसिक बीमारियों को “भूत-प्रेत” बताकर गलत दिशा

इनका लक्ष्य:

पैसा + प्रभाव + अंधभक्त


2️⃣ नेता और राजनीतिक वर्ग

  • चुनाव जीतने के लिए तांत्रिकों का प्रचार

  • बड़ी-बड़ी यज्ञ-पूजा के नाम पर रस्में

  • जनता को भावनात्मक रूप से नियंत्रित करने की रणनीति

👉 राजनीति ने तंत्र को आध्यात्मिकता से हटाकर तमाशा और अंधविश्वास बना दिया।


3️⃣ OTT, फिल्में और टीवी

  • तंत्र को कुछ ऐसा दिखाया:

    • खोपड़ी

    • काला कपड़ा

    • जादू-टोना

    • डरावनी शक्तियाँ

    • बलि

  • इससे वास्तविक तंत्र का स्वरूप पूरी तरह विकृत हुआ


4️⃣ समाज की अपनी अज्ञानता

  • विज्ञान से दूर रहना

  • भय-आधारित मानसिकता

  • आसान समाधान की आदत: “पंडित जी कुछ करा दे”

  • तनाव/डिप्रेशन को “ऊपर-नीचे का मामला” समझना


🔵 5. वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से तंत्र-मंत्र की स्थिति

✔ तंत्र का वास्तविक रूप

  • ध्यान

  • ऊर्जा विज्ञान

  • श्वास-प्रक्रिया

  • मनोविज्ञान

  • शरीर की प्रक्रियाओं का अध्ययन

❌ इसका कोई आधार नहीं

  • वशीकरण

  • काला जादू

  • ताबीज से सफलता

  • मंत्र-पाठ से दुश्मन को हानि

  • आहुतियां देकर किसी को नुकसान देना

👉 विशेषज्ञों का स्पष्ट मत:
तंत्र का इन चीजों से कोई संबंध नहीं—
ये लोक-विश्वास, डर, अंधश्रद्धा और व्यवसाय हैं।


🔵 6. समाज को जागरूक करने के लिए क्या जरूरी है?

1️⃣ स्कूलों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की शिक्षा

  • तर्क, प्रमाण, विश्लेषण

  • अंधविश्वास का विरोध

2️⃣ मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता

  • भूत-प्रेत के नाम पर मानसिक मरीजों को भटकाना बंद हो

  • मनोवैज्ञानिकों की पहुँच आसान हो

3️⃣ धार्मिक संस्थानों की जवाबदेही

  • तंत्र को आध्यात्मिक साधना से जोड़ना

  • काला जादू/वशीकरण प्रचार करने वालों पर कार्रवाई

4️⃣ मीडिया की जिम्मेदारी

  • तांत्रिकों को “चमत्कारी बाबा” बनाकर मंच न दे

  • वैज्ञानिक रिपोर्टिंग हो

5️⃣ कानून का कड़ाई से लागू होना

कई राज्यों में Anti-Superstition Act (अंधश्रद्धा निवारण कानून) मौजूद है:

  • ब्लैक मैजिक

  • झाड़-फूंक

  • चमत्कार दिखाने वाली ठगी

  • बलि

  • “वशीकरण” धोखाधड़ी

इन सभी पर कार्रवाई संभव है।


🔵 7. निष्कर्ष

भारत का तंत्र-मंत्र:

  • अपनी मूल रूप में गहन आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक विज्ञान है

  • बाद में इसे राजनीति, ढोंग, भय और व्यवसाय का हथियार बना दिया गया

  • आज का समाज वास्तविक तंत्र से नहीं,
    बल्कि ढोंगी तांत्रिकों और बाजारू अंधविश्वासों से पीड़ित है

सच्ची जागरूकता तभी आएगी जब हम—

  • विज्ञान अपनाएँ

  • परंपरा को सत्य रूप में समझें

  • अंधविश्वास को ठुकराएँ

  • धोखेबाज़ “गुरुओं” से सतर्क रहें

और सबसे महत्वपूर्ण—
किसी भी समस्या का समाधान तांत्रिक नहीं, तर्क देता है।

Deepika Sharma

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