असर विशेष: स्कूलों के बाहर खतरा ही खतरा!
ताराहल स्कूल, पुराना बस अड्डा ही नहीं… शिमला के लगभग हर स्कूल के बाहर स्पीड ब्रेकर और ज़ेबरा क्रॉसिंग गायब

ताराहल स्कूल के बाहर खींची गई इस तस्वीर में साफ़ दिख रहा है कि सड़क की हालत बच्चों की सुरक्षा के बिल्कुल लायक नहीं है।वही एक और तस्वीर जो पुराने बस अड्डे की है उधर भी बच्चो की सुरक्षा ख़तरे में है अन्य स्कूलों के बाहर भी कुछ सड़क पर ऐसा ही देखने में आता है


स्पीड ब्रेकर टूट चुके हैं, ज़ेबरा क्रॉसिंग की लाइंस गायब हैं। भारी ट्रैफिक और तेज़ रफ़्तार वाहन बच्चों को सड़क पार करने तक का मौका नहीं देते।भले ही ट्रैफ़िक
इंस्पेक्टर और स्कूल प्रशासन उक्त क्षेत्र में अपनी ड्यूटी निभाने की पूरी कोशिश करता है लेकिन ट्रैफ़िक नियमों में ये जरूरी दिखता है कि इधर सड़क नियमों में निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है , जिसमे स्पीड ब्रेकर ग़ायब है तेज़ी से गाड़ी क्रॉस होती है । ज़ेबरा क्रॉसिंग की लाइन्स ग़ायब है
यही हालत सिर्फ़ एक स्कूल की नहीं — अभिभावक बता रहे हैं कि शिमला के अधिकांश स्कूलों के बाहर सुरक्षा इंतज़ाम पूरी तरह से नदारद हैं।
चाहे वह ताराहल स्कूल हो, पुराना बस अड्डा क्षेत्र हो, संजौली, टुटू, चक्कर, ढली या आईएसबीटी के आसपास के स्कूल — हर जगह एक ही समस्या बार–बार सुनने को मिल रही है।
अभिभावकों का पक्ष — गुस्सा और डर दोनों!
अभिभावकों ने कड़े शब्दों में चिंता जताई है:
“हम रोज़ डर के साए में बच्चों को भेजते हैं, गाड़ियों की स्पीड इतनी तेज होती है कि हाथ पकड़कर भी सड़क पार करवाना मुश्किल हो जाता है।”जो सबसे ज़्यादा समस्या पुराने बस अड्डे में है
“ज़ेबरा क्रॉसिंग मिट चुकी है, बच्चे कहाँ से पार करें?”
“किसी बड़े हादसे का इंतज़ार क्यों? पहले दिक्कत सुधारो, बाद में जांच कमिटी बनाना!”
अभिभावकों और स्थानीय लोगों के बयान (नाम सहित)
हेमंत (अभिभावक)
“हर सुबह और दोपहर हम बच्चों को लेकर पुराने बस अड्डे के पास खड़े रहते हैं, लेकिन इतने तेज़ वाहन निकलते हैं कि डर लगा रहता है। ज़ेबरा क्रॉसिंग है ही नहीं, बच्चे कहाँ से जाएं?”
मीनाक्षी . शर्मा (अभिभावक)
“कई बार स्कूल प्रशासन और नगर निगम दोनों को बताया, लेकिन अभी तक कुछ नहीं बदला। क्या किसी बड़े हादसे का इंतज़ार है?”
जसविंदर सिंह (स्थानीय दुकानदार)
“स्कूल टाइम में पुराने बसस्टैंड के पास सड़क पर इतना खतरा रहता है कि कई बार बच-बचाकर गाड़ियाँ रुकती हैं। स्पीड ब्रेकर बिल्कुल टूट चुके हैं। नई पेंटिंग बहुत जरूरी है।”
सुनीता व (स्थानीय निवासी)
“ये सिर्फ़ एक स्कूल की समस्या नहीं… संजौली, ढली, चक्कर और कुंफरी के स्कूलों में भी यही हाल है। बच्चों की सुरक्षा बिल्कुल भगवान भरोसे है।”स्कूल के बाहर की सकड़ व्यवस्था चेक रखनी चाहिए