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असर विशेष: सरकारी स्कूल भी चमकते हैं! टूटीकण्डी के छात्रों ने बदली लोगों की सोच

HAS से लेकर प्रोफेसर तक—सरकारी स्कूल के छात्रों ने सफलता की नई कहानी लिखी

असर न्यूज़ से डिम्पल सूद की रिपोर्ट

अक्सर लोग सोचते हैं कि ऊँचे पदों पर पहुँचने के लिए महंगी और निजी स्कूलिंग जरूरी होती है, लेकिन शिमला का गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल टूटीकण्डी इस सोच को पूरी तरह गलत साबित कर रहा है। इस स्कूल में पढ़े कई बच्चों ने आज ऊँचे-ऊँचे पदों पर पहुँचकर न सिर्फ स्कूल का नाम रोशन किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि पढ़ाई की असली शक्ति सरकारी स्कूलों में भी जगाई जा सकती है—बस जज़्बा और अवसर चाहिए।

इस स्कूल के छात्रों में से—

  • सोनिया ठाकुर आज HAS अधिकारी के पद पर आसीन हैं।

  • डॉ. नीना बरार ICMC में डॉक्टर के पद पर सेवाएँ दे रही हैं।

  • डॉ. ममता कौशल हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।

  • श्री गोपीचंद नेगी सह-अध्यापक के पद पर आसीन हैं।

इन सभी ने एक बार फिर साबित किया है कि सरकारी स्कूल भी प्रतिभा की जन्मभूमि होते हैं।

 1967 में बना स्कूल, 2017 में मिला सीनियर सेकेंडरी का दर्जा

स्कूल की प्रधानाचार्य अनीता ठाकुर ने बताया कि स्कूल की स्थापना 1967 में हुई थी। पहले यह मिडिल स्कूल था, जिसे 2017 में सीनियर सेकेंडरी का दर्जा प्राप्त हुआ। वर्तमान में 140 बच्चे यहाँ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिनमें से अधिकांश बच्चे चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट, बाल आश्रम टूटीकण्डी से आते हैं।

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 स्कूल गतिविधियों में भी बेहतरीन प्रदर्शन

स्कूल में समय-समय पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
हाल ही में शिमला के बचत भवन में आयोजित नशा निवारण प्रतियोगिता में बच्चों ने बेहतरीन भाषण देकर यह संदेश दिया कि नशा एक अभिशाप है और इससे दूर रहना ही जीवन का सही मार्ग है।

 CSR के सहयोग से बदली स्कूल की तस्वीर

प्रधानाचार्य नीति ठाकुर ने बताया कि स्कूल की मरम्मत और बुनियादी ढांचे को सुधारने की अत्यंत आवश्यकता थी।
CSR (Corporate Social Responsibility) एक्ट 2013 के तहत स्कूल के मुख्य द्वार, फर्श और दीवारों का रखरखाव किया गया है।

 ‘एक पौधा माँ के नाम’ अभियान

स्कूल में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक पौधा माँ के नाम अभियान चलाया जा रहा है। अब तक 70 पौधे लगाए जा चुके हैं।

 हर शनिवार एक्टिविटी डे

स्कूल में शनिवार को 3D बेड / Activity Day रखा जाता है, जिसमें बच्चे विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं।

 लड़कियों के लिए सुरक्षित सुविधाएँ

SJVN के माध्यम से स्कूल में लड़कियों के लिए विशेष वॉशरूम की व्यवस्था भी की गई है।


 यह स्कूल बना उदाहरण

गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल टूटीकण्डी आज इस बात का जीवंत प्रमाण है कि सपने सरकारी स्कूलों से भी पूरे हो सकते हैं।
यह सिर्फ एक स्कूल नहीं, बल्कि प्रेरणा का वह स्तंभ है जिसने समाज को दिखाया कि सफलता का रास्ता स्कूल की बिल्डिंग नहीं, बल्कि शिक्षा और आग्रह खोलते हैं।

Deepika Sharma

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