नवरात्रों में इस तरह होगी शिमला के मंदिरों में विशेष पूजा

जागरण में अंबे मां की धुनों से, रामलीला में रामायण के दृश्यों से, गरबा और डांडिया की नृत्य झनकारो से शुरुआत होती है l नवरात्रि उत्सव का पर्व साल में चारबार मनाया जाता हैं l दो बार गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र नवरात्रि और दूसरा शारदीय नवरात्रि l अंबे मां चाहे वह अपनी असुरीरूप में हो, चाहे देवी रूप में, हम जनमानस को केवल एक ही शिक्षा देती है कि मैं हमेशा तेरे साथ हूं l तुझे जिंदगी केउतार-चढ़ाव से हारना नहीं है l इस बार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से आरंभ होकर 2 अक्टूबर तक चलेंगे l 2 अक्टूबर को असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयदशमी पर्व के साथ इस उत्सव का समापन होगा l
आइए दृष्टि डालते हैं कि शिमला में नवरात्रि उत्सव की क्या धूम है l सर्वप्रथम शिमला के कालीबाड़ी मंदिर से शुरुआत करते हैं, शिमला कालीबाड़ी मंदिर में नवरात्रि उत्सव को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है l जन सैलाब उमड उमड कर माता के दर्शनों को लालायित रहता हैl नवरात्रि उत्सव की जानकारी देते हुए मंदिर के सचिव डॉक्टर कल्लोल प्रमानिक ने बताया कि लोगों को सुरक्षा देने के लिए सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं l मंदिर में सभी भक्तजन सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेंगे l महिला पुलिस बल को भी तैनात किया गया है l उन्होंने बताया कि 27 सितंबर को घट स्थापना की जाएगी l 28 सितंबर को दुर्गा माता की मूर्तियों की स्थापना की जाएगी l कोलकाता कारीगरों द्वारा दुर्गा माता की मूर्तियां बनाई जाती हैं, नवरात्रि उत्सव में धाक जो वाद्ययंत्र बजाता है, उसे भी कोलकाता से ही मंगवाया जाता है l
डॉक्टर प्रमानिक ने बताया कि 30 को विशेष संधी पूजा का प्रावधान है, इस पूजा का समय दिन में 1.20से 2:08 मिनट तक रहेगा l इस पूजा में 108 कमल के फूल और 108 दीये प्रज्वलित किए जाते हैं l दशमी को बंगाली समुदाय की महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए सिंदूर मेले का आयोजन किया जाता है l दशमी को ही मूर्ति विसर्जन के साथ नवरात्रि उत्सव का समापन होता है lमंदिर में दशमी तक भंडारे का आयोजन रहता है l
देवदार और ओक के घने जंगलों से सरावोरतारा देवी मंदिर में भी नवरात्रि उत्सव पर जनसैलाब उमड़ताहै, क्योंकि तारा देवी मंदिर का वातावरण बड़ा शांत,आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है l शारदीयनवरात्रों की महिमा बताते हुए मंदिर के पुजारी कमलेश गार्गी जी ने बताया की शारदीय नवरात्रों को ही प्रत्यक्ष नवरात्रि माना जाता है l मां भगवती अपने भक्तों के समस्त संकटों को दूर करती हैं और उन्हें सुख संपदा प्रदान करती है, उन्होंने बताया कि अंबे मां तो परम चेतना का सवरूप हैं l मां का चिंतन मनन करने से ही मनुष्य को आनंद की अनुभूति होती है l उत्सव की शुरुआत माता के चंडी पाठ से होती है, इस पाठ का समय सुबह 9 से शाम 5:00 बजे तक रहता है lनवरात्री उत्सव में जौ बीजने का भी प्रवधान है l जौ बीजने समृद्धि का प्रतीक है l उन्होंने बताया कि नवरात्रि व्रत में शुद्धीका ध्यान रखना बहुत जरूरी है, व्रत के दौरान माता के मन्त्रोऔर पाठ का उच्चारण करते रहना चाहिए l विषय वासनाओं से दूर रहकर आत्मानुभूति होना ही भगवती मां की सच्ची कृपा है l
ढिंगू मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी नवरात्रि उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है l
सनातन धर्म सीनियर सेकेंडरी स्कूल के मैदान में पिछले 48 वर्षों से रामलीला का आयोजन हो रहा है l वहीं नाभा परिसर में भी पिछले 30 वर्षों से रामलीला का आयोजन हो रहा है l यह दोनों स्थान पवित्र स्थल बन चुके हैं l वैसे तो बहुत स्थानों पर रामलीला का आयोजन रहता है,पर यह दोनों स्थान पवित्र स्थान बन चुके हैं l
डांडिया और गरबा के बिना तो नवरात्रि उत्सव अधूरा माना जाता है l बड़ोदरा, अहमदाबाद, सूरत, राजकोट में डांडिया और गरबा उत्सव की धूम रहती है l महाराष्ट्र में बहुत बड़े पैमाने पर डांडिया की धूम रहती है l दिल्ली, जयपुर, भोपाल जैसे बड़े शहरों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम के तौर पर डांडिया और गरबा मनाया जाता है l देश तथा विदेशो में US, UK, Canada देशों में भी डांडिया और गरबा की धूम है l जहाँ Indian community, सोसाइटी, स्कूल,कॉलेज, हाउसिंग सोसायटी,इंडियन आर्मी, में भी डांडिया रात्रि का आयोजन रहता है l
असत्य पर सत्य की जीत के साथ विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है और नवरात्री उत्सव का समापन होता है l
जसवीर सूद (डिंपल सूद)
 
					 
							
													
