
शिमला, 2 सितम्बर।
हिमाचल प्रदेश के चम्बा ज़िले से आई दर्दनाक खबर ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। इलेक्ट्रिकल सब-डिवीजन राख में तैनात आउटसोर्स कर्मचारी देश राज ड्यूटी के दौरान बिजली लाइन पर काम करते हुए हादसे का शिकार हो गए और मौके पर ही मौत के आगोश में समा गए।
देश राज की शहादत ने एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या आउटसोर्स कर्मचारियों की जान की कोई कीमत नहीं है?
हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमल चौहान और महासचिव धर्मेंद्र शर्मा ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 3–4 सालों में बिजली बोर्ड में 30 से अधिक कर्मचारी ड्यूटी पर जान गंवा चुके हैं, जिनमें 7 आउटसोर्स कर्मचारी शामिल हैं। मगर इसके बावजूद सरकार न सुरक्षा देती है, न नौकरी की स्थिरता।
महासंघ का आरोप है कि ये कर्मचारी जान पर खेलकर सरकार का काम करते हैं, लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ 10–12 हज़ार रुपये मिलते हैं। न परिवार की सामाजिक सुरक्षा है, न भविष्य की गारंटी। मृत्यु के बाद भी परिवार को अपने बलबूते पर ही जीवन जीने को छोड़ दिया जाता है।
महासंघ ने मांग की है कि देश राज के परिवार को कम से कम 20 लाख रुपये मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिले। साथ ही सरकार आउटसोर्स व्यवस्था को खत्म कर स्थायी नीति बनाए ताकि ऐसे हादसों में परिवारों को सहारा मिल सके।
महासंघ नेताओं ने कहा – “जब चुनाव आते हैं तो सभी पार्टियां आउटसोर्स कर्मचारियों की हितैषी बन जाती हैं, मगर सत्ता में आने के बाद सब वादे हवा हो जाते हैं। आखिर कब तक हिमाचल के युवा ऐसे असुरक्षित हालात में अपनी जान गंवाते रहेंगे?”
देश राज की मौत ने यह दर्दनाक सवाल सभी के सामने खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार केवल काम लेगी, या कभी इन कर्मचारियों के जीवन की भी गारंटी देगी?


