सम्पादकीय

हिमाचल प्रदेश सरकार के उद्योग विभाग के निदेशक डॉ. यूनुस की अध्यक्षता में बैठक आयोजित

हिमाचल प्रदेश के आर्थिक विकास में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया

राइजिंग एंड एक्सीलरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस (RAMP) योजना की समीक्षा बैठक 3 जुलाई, 2025 को हिमाचल प्रदेश सरकार के उद्योग विभाग के निदेशक डॉ. यूनुस की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में अतिरिक्त निदेशक उद्योग श्री तिलक राज शर्मा और संयुक्त निदेशक उद्योग श्रीमती दीपिका खत्री भी उपस्थित रहीं।

 

डॉ. यूनुस, निदेशक उद्योग, ने हिमाचल प्रदेश के आर्थिक विकास में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को परिणामोन्मुख हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए, जिससे राज्य में एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र को और सुदृढ़ किया जा सके। उन्होंने एजेंसियों को अपनी गतिविधियों की गति बढ़ाने और कार्यक्रम के लाभों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देशित किया।

 

श्री तिलक राज शर्मा, अतिरिक्त निदेशक उद्योग, ने रैम्प कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया और शेष घटकों के प्रभावी क्रियान्वयन एवं परिणाम आधारित पहलों को अपनाने की सिफारिश की। श्रीमती दीपिका खत्री, संयुक्त निदेशक उद्योग, ने भी कार्यक्रम के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।

 

बैठक के दौरान विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने रैम्प कार्यक्रम के तहत की जा रही विभिन्न पहलों की प्रगति से अवगत कराया, जिसमें विशेष रूप से इस पहल के तहत स्थापित प्री/रूरल इनक्यूबेशन सेंटर्स पर ध्यान केंद्रित किया गया। ये केंद्र चार एजेंसियों आईआईटी मंडी कैटालिस्ट, रीजनल सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट (RCED), स्किललैब रिसोर्स सर्विसेज प्रा. लि. और द प्लैनेट एजुकेशन सोसाइटी-द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।

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Central Electronics Limited (CeL), भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के अधीन एक उपक्रम, ने एमएसएमई के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लाभों को उजागर किया, जिससे यह प्रदर्शित हुआ कि स्मार्ट तकनीकें छोटे व्यवसायों की दक्षता और प्रतिस्पर्धात्मकता को कैसे बढ़ा सकती हैं।

 

NABCON ने SFURTI योजना की प्रगति साझा की, जिसमें पारंपरिक उद्योगों और ग्रामीण उद्यम विकास पर इसके सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित किया गया। उन्होंने रैम्प योजना के तहत अब तक की उपलब्धियों, 11 जिलों में आयोजित कार्यशालाओं और गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी। इसके अतिरिक्त, NABCON ने SFURTI योजना के तहत 11 और क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (CDP) के तहत 4 क्लस्टरों की पहचान किए जाने की भी जानकारी दी।

 

रैम्प पहल का उद्देश्य ग्रामीण उद्यमियों को जागरूकता, क्षमता निर्माण और बूटकैप्स जैसी संरचित प्रक्रियाओं के माध्यम से सशक्त बनाना है। कार्यान्वयन एजेंसियां सक्रिय रूप से हस्तक्षेपों की जानकारी प्रसारित कर रही हैं, मौजूदा एमएसएमई का समर्थन कर रही हैं, और नए उद्यमों को डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, व्यवसाय मॉडल विकास और विपणन रणनीतियों जैसे आवश्यक उपकरणों के साथ सहायता प्रदान कर रही हैं।

एजेंसीवार प्रस्तुतियों में कार्यक्रम के प्रमुख घटकों जागरूकता कार्यशालाओं, उद्यमिता विकास कार्यक्रमों (EDPs) और बूटकैप्स के सफल क्रियान्वयन को दर्शाया गया। इन प्रयासों का उद्देश्य विशेष रूप से युवाओं और स्थानीय व्यवसाय मालिकों को उनके उद्यम शुरू करने और बढ़ाने के लिए आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान और कौशल से लैस करना है।

 

यह उपलब्धि हिमाचल प्रदेश में एक सतत ग्रामीण स्टार्टअप इकोसिस्टम के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें स्थानीय संस्थानों, सरकारी निकायों और कार्यान्वयन भागीदारों का निरंतर सहयोग मिल रहा है।

Deepika Sharma

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