“आप लोगों ने भगवान बनकर मेरे बुजुर्ग पिता की जिंदगी बचा ली….
उमंग फाउंडेशन की पहल पर पुलिस द्वारा रेस्क्यू मनोरोगी बुजुर्ग को मिली नई जिंदगी

शिमला, 2 मार्च।
“आप लोगों ने भगवान बनकर मेरे बुजुर्ग पिता की जिंदगी बचा ली।
वरना शिमला की भीषण ठंड में वह मर जाते। पिछले 5 महीने से मेरी और मेरी मां की नींद उड़ी हुई थी जब खराब दिमागी हालत की वजह से वह कहीं चले गए थे।” यह कहते-कहते पानीपत के गांव जोधन का वजीर सिंह (35) फूट-फूट कर रो पड़ा।
वजीर सिंह के पिता रणबीर सिंह (65) को उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव के आग्रह पर छोटा शिमला थाना की एसएचओ ममता रघुवंशी ने तुरंत रेस्क्यू कर के आईजीएमसी शिमला में मेडिकल चेकअप कराया और एक रात थाने में सुरक्षित रखा। वह काफी दिनों से भीषण ठंड में टालैंड के बस स्टॉप पर बने रेन शेल्टर में रह रहे थे।
एसएचओ ममता रघुवंशी ने सिर्फ उन्हें रेस्क्यू ही नहीं कराया बल्कि बातचीत में थोड़ा संदर्भ मिलने पर हरियाणा पुलिस के माध्यम से पानीपत की तहसील इसराना के गांव जोंधन खुर्द में उनके बेटे वजीर सिंह से संपर्क कर उसे शिमला बुला लिया। शनिवार को देर शाम छोटा शिमला थाने में पुत्र और उसके 5 महीने से लापता मनोरोगी पिता का मिलन किसी की भी आंखें नम कर सकता था। ममता ने उन लोगों को बस स्टैंड तक अपनी गाड़ी में छुड़वाया और रविवार को तड़के वे अपने घर पंहुच गए।
सोलन की सामाजिक कार्यकर्ता और उमंग फाउंडेशन की सदस्य श्रीमती विजय लांबा ने गत वर्ष 24 दिसंबर को सोलन से रणबीर सिंह को बहुत खराब हालत में देखकर पुलिस के जरिए रेस्क्यू कराया था। हैरानी कि बात यह है की सोलन पुलिस ने मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 के प्रावधानों के तहत न तो कोई कार्रवाई की और न ही उसके परिवार का पता लगाने का कष्ट किया। पुलिस ने उसे एक स्वयंसेवी संस्था के सुपुर्द कर दिया जहां कुछ दिन रहने के बाद वह कहीं चला गया।
वजीर सिंह का कहना है कि उसके अनपढ़ पिता कई दशक से मनोरोगी हैं। इस कारण मेहनत मजदूरी तक नहीं कर पाते थे। मां दिहाड़ी पर मजदूरी करती थी जिससे घर का खर्च चलता था। पिछले वर्ष भी वह लापता हो गए थे और किसी से सूचना मिलने पर 2 महीने बाद मई में वह उन्हें पानीपत लाए थे। उसने प्रो. अजय श्रीवास्तव को फोन पर बताया कि अब पूरे गांव में शिमला की पुलिस और लोगों से उसके पिता का जीवन बचाने में मिली मदद की चर्चा हो रही है।
प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि एसएचओ ममता रघुवंशी द्वारा तुरंत की गई कार्रवाई से एक मनोरोगी बुजुर्ग का जीवन बचाया जा सका। उन्होंने कहा कि यदि किसी को कोई मनोरोगी बेसहारा हालत में दिखता है तो उसे पुलिस के माध्यम से रेस्क्यू करने का प्रयास करना चाहिए।


