विशेष

EXCLUSIVE: बेशकीमती डाक टिकटों में जीवंत है “फादर ऑफ नेशन”

गांधी जयंती पर पढ़िए असर न्यूज़ की ख़ास रिपोर्ट

No Slide Found In Slider.

 

कुछ तो खास था उस सादगी में यूं ही जन सैलाब किसी के पीछे नहीं चल पड़‌ता है।…

No Slide Found In Slider.

 

साबरमती के संत को अपनी यादों में जीवित रखने के लिए भारत ही नहीं बल्कि विदेशी भी शामिल है। लेकिन हिमाचल में महात्मा गांधी की यादों को बहुमुल्य डाक टिकटों के संग्रहण से डा. मेजर रितु कालरा सहेज रही हैं। मेजर डा. रितु कालरा शिमला में डेंटल क्लीनिक चला रही हैं लेकिन महात्मा गांधी के प्राचीनतम डाक टिकट संग्रहण में ये देश में चर्चित चेहरा है।

दो अक्तूबर को गांधी जयंती के उपलक्ष पर ‘असर न्यूज़’ ने मेजर रितु कालरा से बातचीत की। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी एक ऐसी शख्सियत है जिन पर विदेश में भी डाक टिकट निकाली गई है। ये ऐसी शख्सियत भी हैं जिन पर देश विदेश में सबसे ज्यादा डाक टिकटें भी निकाली गई हैं।

मेजर रितु कहती हैं कि उनके पास लगभग बीस देशों द्वारा निकाली गई महात्मा गांधी के उपर की स्टैंप हैं। रितु कालरा कहतीं है कि वह पांच वर्ष की थी जब से वह डाक टिकटों का संग्रहण कर रही है। इसमे गांधी जी की काफी पुरानी डाक टिकटें हैं, जो उनके पास है। वर्ष 1948 में सबसे पुरानी डाक टिकट उनके पास है।

No Slide Found In Slider.

ये पहला डाक टिकट निकाला गया था। जिसमें उनके पास दस रूपए, आधा आना, डेढ़ आना, साढ़े तीन आना की महात्मा गांधी की डाक टिकटें हैं। वहीं अमेरिका द्वारा गांधी जी के उपर निकाली गई पहली बार डाक टिकट चैप्टर आफ लिबरटी भी उनके पास है। लंदन ने 1979 में महात्मा गांधी के उपर निकाली गई डाक टिकट का संग्रहण भी उन्होंने अपने पास संग्रहित करके रखा है। उनके पास गांधी जी के उपर दस फ्रेमस है। ‘असर न्यूज़’ से बातचीत में मेजर रितु कालरा ने बताया कि यूके ने भी उन पर डाक टिकट निकाला है, जो उनके पास है। विभिन्न देशों के द्वारा महात्मा गांधी के उपर निकाले गए लगभग हजारों डाक टिकटों को उन्होंने संग्रहण किया है। रितु कहती हैं कि इस दिलवस्मी से उन्हें गांधी जी के जीवन के बारे में जानने का मौका मिला है कि वह दोनों हाथों से लिख लेते थे। सिंपल लीविंग और हाई थिंकिंग को लेकर उनसे बड़ा मार्गदर्शक कोई नहीं हो सकता है।

डाक टिकटों का संग्रहण एक कीमती शौक

गौर हो कि एक बार जब डाक टिकट निकल जाती है तो उसके बाद उस बैच की डाक टिकट नहीं निकलती है। देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय फैलेटलिक मार्किट डाक टिकटों की कीमत लाखों की आकी जाती है। देखा जाए तो डाक टिकटों का संग्रहण एक बहुमुल्य वस्तुओं के संग्रहाण जैसा है। जिससे डाक टिकटों को इक‌ट्ठे करने उस विषय वस्तु के बारे में कई जानकारियां मिल पाती है। वहीं कई जगह इसे फलैटलिस्ट मार्किट में बेचा भी जाता है जिसमें लाखों का क्रय विक्रय होता है।

Deepika Sharma

Related Articles

Back to top button
Close