असर विशेष: इधर चाय नहीं कॉफ़ी ही मिलेगी……
HRTC की वॉल्वो जिस ढाबे में रुकेगी उधर साठ रुपये की कॉफी ही पीनी पड़ेगी

आप दिल्ली से शिमला आ रहे हो और आपने ढाबे में चाय पीनी हो तो आपको चाय नहीं कॉफ़ी ही पीनी पड़ेगी। ये समस्या भले ही एचआरटीसी के लिए महज़ छोटी सी महसूस हो रही हो लेकिन उस “ बीपी” से पीड़ित मरीज़ के लिए उस समय ये काफ़ी बड़ी परेशानी बन जाती है जब उसे ढाबे पर चाय पूछने पर ये जवाब मिलता है की चाय नहीं मिलेगी सिर्फ़ कॉफ़ी है वही पीनी पड़ेगी ।
कॉफी की क़ीमत भी थोड़ी नहीं बल्कि एक कॉफ़ी की क़ीमत साठ रुपये है ।यात्रियों ने एचआरटीसी प्रशासन से विशेष आग्रह किया है कि इस तरह के ढाबों में चाय की व्यवस्था की जाए
गोर हो कि HRTC ने कुछ ढाबों में वॉल्वो रोकने का प्रावधान किया है इस पर यात्रियों का कहना है कि वहाँ पर ढाबा मालिकों द्वारा किसी खाद्य पदार्थ को लेकर या किसी अन्य विषय को लेकर एकाधिकार न जमाए इस पर प्रशासन को ग़ौर करना चाहिए।
। यात्री हेमंत का कहना कि मंगलवार दिल्ली से शिमला आने वाली वॉल्वो में भी ऐसी परेशानी का सामना करना पड़ा। देर शाम को जब एचआरटीसी की वॉल्वो जिस ढाबे पर रुकी उधर काफ़ी तो दी जा रही थी लेकिन चाय की व्यवस्था नहीं थी जिससे कई यात्री परेशान हुए।
गोर हो कि अधिकृत ढाबों में HRTC द्वारा वॉल्वो नहीं रोकने पर बीते कुछ वर्षों में कंडक्टर और ड्राइवर को सस्पेंड करने की भी सूचना है यानी की एचआरटीसी की वॉल्वो अधिकृत ढाबों में ही रोकी जाती है।जिस पर उनके कार्यों पर नज़र रखनी भी आवश्यक रहती है।
इस बारे में एचआरटीसी कंडक्टर यूनियन महासचिव दीपेंद्र कंवर का कहना है कि जिस ढाबों में एचआरटीसी ने हमे वॉल्वो रोकने के लिए अधिकृत किया है वहीं बस रोकी जाती है । फ़िलहाल यदि यात्री वर्ग जिस खाद्य पदार्थ के बारे में अपनी परेशानी जता रहे हैं इसके बारे में यात्रियों की परेशानी प्रशासन के समक्ष ज़रूर रखी जाएगी।


