जान थॉमसन फैलोशिप प्रोग्राम में हिमाचल के डॉ अश्विनी होंगे शामिल
शिक्षा प्रणालियों के लिए पर्याप्त वित्तपोषण और सीखने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रभावी प्रयोग जरुरी है

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संगठन एजुकेशन इंटरनेशनल और यूनेस्को के तत्वाधान में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में 23 सितंबर से लेकर 5 अक्टूबर तक जान थॉमसन फैलोशिप प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है।
जिसमें हिमाचल प्रदेश की डॉक्टर अश्विनी कुमार जो की ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर आर्गेनाइजेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल इस कार्यशाला में भाग लेने के लिए आज रवाना हुआ। आज जारी एक संयुक्त वक्तव्य में ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर आर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अश्विनी कुमार, सेक्रेटरी जनरल सी .एल . रोज, मुख्य प्रेस सचिव प्रेम शर्मा, राष्ट्रीय महिला विंग की अध्यक्ष शिल्पा नायक ने बताया कि भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षण पेशे में परिवर्तन लाने के लिए शिक्षण पेशे के भविष्य को बदलने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दी गई सिफारिशें पर पर विचार करने के लिये अंतराष्ट्रीय शिक्षक संगठन एजुकेशन इंटरनेशनल द्वारा यह पहल बहुत ही सराहनीय है इस कार्यशाला में भाग लेने वाले विश्व के विभिन्न देशों से आये प्रतिभागियों का व्यय अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संगठन एजुकेशन इंटरनेशनल और यूनेस्को द्वारा उठाया जायेगा क्योकि यह शिक्षक संगठन द्वारा आयोजित किया जाने वाला कार्यक्रम है!
इस सम्मेलन में शिक्षकों के लिए शिक्षा 2030 (टीटीएफ) पर अंतर्राष्ट्रीय टास्क फोर्स के 14वें नीति संवाद फोरम में लॉन्च की गईं सिफारिशों पर चर्चा होंगी !डॉ अश्वनी कुमार ने बताया कि शिक्षक हर देश के सबसे बड़े संसाधन है ! वे लोगों के दिमाग को पोषित करने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। फिर भी, आज, हम दुनिया भर में शिक्षकों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं, और लाखों शिक्षक ऐसे हैं जिनके पास तेज़ी से बदलती शिक्षा प्रणालियों की माँगों को पूरा करने के लिए ज़रूरी समर्थन, कौशल और निरंतर प्रशिक्षण की कमी है!उन्होंने बताया कि शिक्षा में परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के आधार पर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और यूनेस्को द्वारा संयुक्त रूप से समर्थित, उच्च स्तरीय पैनल की सिफारिशें छह मुख्य अनिवार्यताओं पर आधारित हैं, जिनमें गरिमा, मानवता, विविधता, समानता और समावेश, गुणवत्ता, नवाचार और नेतृत्व और स्थिरता शामिल हैं।
इसके लिए सभ्य कार्य स्थितियां, प्रतिस्पर्धी वेतन, निर्णय लेने में शिक्षकों की आवाज के लिए स्थान और विकास और नवाचार के अवसर की आवश्यकता होती है !सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा दी गई सिफारिशों का उद्देश्य एक ऐसा सक्षम वातावरण तैयार करना है जो शिक्षकों को शिक्षा में बदलाव के वाहक बनने की अनुमति देता है, जो शिक्षार्थियों को ज्ञान को गंभीरता से समझने और आज की दुनिया में आवश्यक कौशल और योग्यता हासिल करने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षकों को केवल सूचना का संवाहक नहीं होना चाहिए, बल्कि शिक्षार्थियों के लिए सक्रिय और सहयोगी भागीदार होना चाहिए।
शिक्षा प्रणालियों के लिए पर्याप्त वित्तपोषण और सीखने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रभावी प्रयोग जरुरी है !उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में शिक्षक की कार्य स्थितियों, वेतन, स्वायत्तता, प्रारंभिक प्रशिक्षण और सतत व्यावसायिक विकास के मुद्दे शिक्षक भर्ती अदि विषयों पर चर्चा होंगी




