असर विशेष: क्या है किसी मौत का इंतज़ार, कुत्ते कर रहे प्रहार
कुत्तों के हमलों की बढ़ रही है संख्या

भाग एक “शहर में कुत्ते का आतंक”
राजधानी शिमला में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ गया है।ये कुत्ते हर रोज चालीस से पचास लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर माह लगभग एक हजार मामले रोजाना शिमला से सामने आ रहे हैं। देश के सबसे स्वच्छ शहर शिमला में जगह-जगह कुत्तों का आतंक फैला हुआ है।
आए दिन ये कुत्ते बच्चों , बड़ों, बुजुर्ग को अपना शिकार बनाते हैं। शिमला जैसे शहर में कुत्तों का आतंक इस तरह बढ़ गया है कि ऐसे में सुबह सैर करने वाले बच्चे , बड़े व बुजुर्गों की सुरक्षा खतरे में है।वही कभी भी ये हमला कर सकते है
गलियों में आवारा कुत्तों का आतंक है,तो बाहर से आने वाले टूरिस्ट भी कुत्तों की वजह से घूमने से कतराने लगे हैं। पार्कों में घूमने वाले लोग वहां घूमने से कतराते हैं। वहीं कई डॉग लवर घर का बचा हुआ खाना इन कुत्तों को डाल देते हैं । जिस कारण ये कुत्ते उस जगह बार-बार जाते हैं और खाना न मिलने पर आम लोगों को अपना निशाना बना लेते हैं। शिमला के हर मौहले व गली में 20-20 कुत्ते मिल जाएंगे। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक आवारा कुत्तों का आतंक है।
इन कुत्तों का आतंक इस तरह बढ़ गया है कि सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में होने के बावजूद भी स्थिति यह है कि आवारा कुत्तों के काटने पर अब भी लोग इलाज के लिए अस्पताल की बजाय बाबाओं के पास झाड़ फूंक कराने भी जा रहे है
आवारा कुत्तों के काटने पर लोग झाड़ फूंक कराने को मजबूर हैं। लेकिन विडंबना है कि इसके बाद भी जागरूकता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोगों का कहना है कि नगर निगम को जहां यह सबसे अधिक समस्या है वहाँ न तो कुत्तों पर नियंत्रण के लिए कोई पहल कर रहा है और न ही जागरूकता पर ध्यान दे रहा है। यदि स्थिति ऐसी ही रही और जल्द से जल्द कोई कार्यवाही नहीं की गई तो लोगों का घर से बाहर निकलना भी बंद हो जाएगा।



