EXCLUSIVE: हिमाचल के एक मेडिकल कॉलेज से 41 डॉक्टरों के सामूहिक तबादले , उठे सवाल
डॉ. जीवानंद बोले — आदर्श अस्पताल चाहिए तो IGMC को बनाओ, नेरचौक को क्यों खाली किया?

शिमला।
हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेजों में शामिल नेरचौक मेडिकल कॉलेज ) से एक ही आदेश में 41 डॉक्टरों के तबादले ने प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
राज्य सरकार ने जारी अधिसूचना में नेरचौक कॉलेज के दर्जनों विशेषज्ञ डॉक्टरों को अलग-अलग जिलों के अस्पतालों में स्थानांतरित किया है।
इस आदेश के बाद हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जीवानंद चोहान ने सरकार की कार्यप्रणाली पर कड़ा सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को किसी अस्पताल को आदर्श अस्पताल बनाना ही था, तो उसे IGMC शिमला को बनाना चाहिए था, नेरचौक कॉलेज को नहीं खाली करना चाहिए था।जिलों आदर्श अस्पताल बनाना एक बंद फ़ाइलों में काम करना जैसा है क्योंकि उधर आधारभूत ढांचे की काफ़ी कमी है
अभी सरकार हर विधानसभा क्षेत्र में एक आदर्श अस्पताल बनाने पर काम कर रही है लेकिन इसे लेकर 41 डॉक्टर जिसमें स्पेशलिस्ट डॉ . भी शामिल है उनकी ट्रांस्फ़र करना कहाँ का न्याय है? इससे मरीज़ों को ही दिक्कतें झेलनी पड़ सकती है।क्योंकि वह कमज़ोर आधारभूत ढांचे से करेंगे क्या?
डॉ. चोहान ने कहा — “नेरचौक मेडिकल कॉलेज प्रदेश के मध्य में स्थित एक प्रमुख संस्थान है, जहां हर दिन सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं। इतने बड़े पैमाने पर डॉक्टरों के ट्रांसफर से न सिर्फ़ मरीजों की परेशानी बढ़ेगी बल्कि कॉलेज का संचालन भी प्रभावित होगा।”
पूर्व अध्यक्ष ने यह भी जोड़ा कि जिन डॉक्टरों को जिन अस्पतालों में भेजा गया है, वहाँ का इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहद कमजोर है। कई जगह तो ज़रूरी मशीनें और स्टाफ तक नहीं हैं, ऐसे में डॉक्टर वहाँ जाकर क्या करेंगे?
स्थानीय नागरिकों और मरीजों में भी इस फैसले को लेकर नाराज़गी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि सरकार को इस तरह के निर्णय लेने से पहले ज़मीनी हालात का आकलन करना चाहिए था।

