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EXCLUSIVE: घटिया रंगों पर प्रशासन की पकड़ ढीली

नहीं लिए जाते कोई भी सैंपल जांच के लिए

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होली का त्यौहार आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो रंग आप  चेहरे पर लगा रहे हैं उसके कोई भी सैंपल जांच के लिए संबंधित प्रशासन द्वारा नहीं लिए गए हैं।

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घटिया रंगों की जांच के लिए प्रशासन  की पकड़ ढीली दिखती है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि कोई भी सैंपल होली के रंगों को लेकर संबंधित प्रशासन द्वारा नहीं उठाए जाते हैं ,जिसमें यह जांच की जा सके कि आखिर बाजार में जो रंग बिक रहा है वह कितना खतरनाक साबित हो सकता है।

कई बार ऐसे केस आते हैं कि रंगों में शीशा मिलाया गया होता है रंगों की चमक बढ़ाने के लिए ऐसी शिकायतें रहती है ।लेकिन रंगों के सैंपल अभी तक जांच के लिए कभी भी नहीं उठाए गए हैं । बल्कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत इसकी जांच करने के प्रावधान की बात सामने आती रही है।

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यहां भी देखा गया है कि प्रदेशों के अस्पतालों में होली के आयोजन के बाद एकाएक त्वचा विभाग की ओपीडी का ग्राफ बढ़ जाता है। अक्सर देखा गया है कि त्वचा की एलर्जी के मामले लगभग 20 से 30 फ़ीसदी के ग्राफ से बढ़ जाते हैं । जिसमें सबसे ज्यादा किस बच्चों के रहते हैं। में डॉक्टरों ने भी साफ हिदायत जारी की है कि खासतौर पर होली खेलते हुए ध्यान बरतें क्योंकि कई बार होली का रंग तो त्वचा ही नहीं बल्कि आंखों और कानों में भी चला जाता है जिससे स्वास्थ्य संबंधित कई हानिकारक दिक्कतें हो जाती है। अक्सर यह भी देखा गया है कि त्वचा एलर्जी के मामलों में तो इजाफा होता ही है बल्कि आंखों की एलर्जी के मामले भी बढ़ जाते हैं जिसमें 20 से 30 फ़ीसदी का उछाल आई ओपीडी के ग्राफ में देखा जाता है।

बॉक्स

तुरंत जाए डॉक्टर के पास

यदि होली खेलते हुए आंखों में होली चली जाए और त्वचा में एलर्जी लगे तो डॉक्टर के पास जाने में देरी नहीं करनी चाहिए दोनों ग्राम्य स्थिति गंभीर अवस्था भी धारण कर सकती है।

Deepika Sharma

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