
आपके आसपास के इलाक़ों में कई ऐसी बेटियाँ होगी जो आगे पढ़ना तो चाहती है लेकिन घर की स्थिति इतनी बेहतर नहीं है कि वह आगे पढ़ पाय।
यही कहानी है तारदेवी की झुगग्गियों में रहने वाली आठ वर्षीय रचना की है।
रचना कालका में पहले रहती थी लेकिन चंद पैसे कमाने के लिये रचना अपने रिश्तेदारों के पास तारदेवी शिमला आई है।
ऐसी ही कई लड़कियाँ झुग्गियों में रहती है। जो आगे पढ़ना चाहती है ।कालका में रचना दूसरी कक्षा में पढ़ती थी लेकिन जब से वह कालका से तारदेवी आई तब से उसने पढ़ना छोड़ दिया है।
अब वह कूड़ा बीनने के साथ साथ कभी भीख भी माँग रही है। वहीं उसके साथ एक और बेटी ऐसी है कि जो पाँचवीं पास है और आगे पढ़ना चाहती है। लेकिन उसके माता की मौत बीमारी से हो गई है और अब वह अपने पिता के साथ कूड़ा बीनने का काम करती है।
बॉक्स
हालाँकि समग्र शिक्षा अभियान इस तरह के बच्चों को शिक्षा देने का काम बखूबी से कर रहा है लेकिन उम्मीद है की इस पर भी समग्र शिक्षा गंभीरता से काम करेगा। और इन बच्चों के परिवार में शिक्षा का दीपक जलाएगा। जिससे उनके आगे बढ़ने का सपना बीच में ही नहीं टूट जाय। यदि इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाय तो आपराधिक मामलों में भी गिरावट आ सकती है।


