अलर्ट: बरसात में इस तरह रहें सतर्क

आजकल बरसात के मौसम में प्रायः पानी के दूषित होने के कारण बहुत सी बिमारियों के पनपने की आशंका रहती है | यदि समय रहते एहतियाती पग उठाए जाएं तो होने वाली संभावित स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाई जा सकती हैं | यह जानकारी देते हुए निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हि.प्र. डा० गोपाल बेरी ने बताया कि बरसात के मौसम में उलटी, दस्त, पीलिया, हेपेटाईटस,टाईफाईड आदि जल जनित रोग से पीड़ित रोगियों के अधिकांश मामले संज्ञान में आते हैं | संक्रमित अथवा दूषित पेयजल के सेवन से होने वाली समस्याओं में रोगियों को सिर दर्द,बुखार,पेट दर्द, उल्टी-दस्त, कमजोरी, भूख न लगना, आँखों, त्वचा व मूत्र के पीलेपन होने आदि की शिकायत रहती है | ऐसी समस्याओं में बच्चों ,गर्भवती स्त्री व बजुर्गों को विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है |
डॉ.बेरी ने आगे जानकारी देते हुए जन साधारण से आवाहन किया कि वे अपने पेयजल स्त्रोतों को स्वच्छ रखें, पानी उबालकर ही प्रयोग में लाएं | अपनी व्यक्तिगत स्वछता के साथ-साथ आसपास के वातावरण की सफाई का विशेष ध्यान रखें, उन पेयजल स्त्रोतों का पानी इस्तेमाल न करें जहाँ का पानी दूषित पाया गया हो | उल्टी-दस्त जैसी समस्या होने पर घर में उपलब्ध तरल पेय जैसे नीम्बू पानी, छाछ दाल का सूप, नारियल पानी, रोगी को पिलाते रहें | ध्यान रखें रोगी के शरीर में पानी की कमी न होने पाए | रोगी को जीवन रक्षक घोल ओ.आर.एस.निरंतर अंतराल में पिलाते रहें, सुनिश्चित करे कि उल्टी-दस्त से ग्रसित बच्चों को धात्री माताए अपने शिशु को निरंतर स्तनपान करवाती रहें | रोगी को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सीय परामर्श के लिए अवश्य ले जाएं | बाजार में उपलब्ध कच्चे गले-सड़े फल सब्जियों का इस्तेमाल न करें, ताजा सुपाच्य भोजन लें |
निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं ने बताया कि प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में जल जनित रोगों के उपचार हेतू आवश्यक दवाएं उपलब्ध हैं | विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष तीन बार विशेष रूप से उल्टी-दस्त नियंत्रण के लिए सघन दस्त नियंत्रण पखवाडा का अभियान संचालित किया जाता है, जहाँ घर द्वार पर स्वास्थ्य सेवाप्रदाता ओ.आर.एस व जिंक की गोलियां वितरित कर दस्त रोग से बचाव व उपचार की जानकारी देते है | इसके अतिरिक्त नियमित रूप से निवारक एवं उपचारात्मक गतिविधियाँ विभाग द्वारा संचालित की जाती हैं | यदि हम सजग,सतर्क व सुरक्षित रहें तो संभावित रोगों से बचाव किया जा सकता है |
ईलाज से परहेज बहेतर है |


