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आवाज़: बिजली कंपनी के कार्य को निजी हाथों में देने के खिलाफ यूनियन

हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज यूनियन का क्षेत्रीय सम्मेलन आज कालीबाड़ी में हुआ, अहम मांगों पर हुई चर्चा

हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज यूनियन का क्षेत्रीय सम्मेलन आज यहाँ कालीबाड़ी में प्रदेशाध्यक्ष कामेश्वर दत्त शर्मा की अध्यक्षता में हुआ। इस अवसर पर यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा, बरिष्ठ उपप्रधान सुंदर जिस्टू, उप महासचिव ओ0पी0 जस्टा, उप प्रधान जय कृष्ण शर्मा के अतिरिक्त राज्य पदाधिकारी पंकज परमार, हेम राज भारद्वाज, संजय शर्मा, धर्म प्रकाश वर्मा, हरीश शर्मा, नीतिश भारद्वाज, तथा स्थानीय इकाइयों के प्रधान अमित भरोटा, हरी दास, प्रदीप हांडा उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त यूनियन के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप खरवाड़ा भी उपस्थित थे।

 

यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि आज शिमला में कार्यरत कर्मचारियों का अधिवेशन आज यहां शिमला में केंद्र सरकार की बिजली निगमों के निजीकरण की नीतियों पर चर्चा हुई जिसमें सैंकड़ों कर्मचारियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा आज इस तरह के अधिवेशन पुरे देश मे बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं द्वारा केंद्र सरकार की स्मार्ट मीटरिंग नीति के माध्यम से बिजली कंपनी के कार्य को निजी हाथों में देने के खिलाफ किया जा रहे है।

 

बिजली बोर्ड में लागू की जा रही केंद्र की आर0डी0एस0 योजना में तहत की जा रही स्मार्ट मीटरिंग पर गंभीर प्रश्न उठाते हुए कहा कि इसमें रखे गये लक्ष्य व शर्ते प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों में व्यवहारिक नहीं है और केंद्र सरकार की शर्त के अनुसार लक्ष्यों के प्राप्त न होने पर इसमें दी जा रही ग्रांट लोन में बदल जाएगी।  

 

यूनियन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राज्य की खराब वित्तिय हालात देखते हुए केंद्रीय ग्रांट का लालच देकर बिजली वितरण प्रणाली में सुधार के नाम पर स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से देश के बड़े निजी कॉरपोरेट को बिजली वितरण कंपनियों में प्रवेश कराना चाहती है। इस योजना के अंतर्गत स्मार्ट मीटर के रखरखाव का कार्य *पब्लिक प्राइवेट पार्टिसिपेशन (PPP Mode)* पर करना प्रस्तावित है वहीं इसके डाटा ग्रहण का कार्य इसके अतिरिक्त किसी तीसरी निजी संस्था देखेगी। इस तरह से बिजली कंपनी का बड़ा कार्य निजी हाथों चला जायेगा।

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बिजली बोर्ड का पिछला अनुभव बताता है कि बोर्ड द्वारा इसी तरह की केंद्र की योजना में लक्ष्य न पूरा होने पर दो स्मार्ट सिटी शिमला व धर्मशाला में लगाए गए एक लाख पच्चास हज़ार स्मार्ट मीटरों में से लगभग 50 हजार मीटरों का खर्चा बिजली बोर्ड को बहन करना पड़ रहा है। वहीं बोर्ड द्वारा स्मार्ट मीटर बारे एक पायलट प्रोजेक्ट वर्ष 2017 में काला अम्ब सिरमौर में स्थापित किया गया है जो पूरी तरह से विफल रहा है। जब बोर्ड इस स्मार्ट मीटर की योजना के छोटे से पायलट प्रोजेक्ट को कामयाब नहीं कर पाए तो 26 लाख स्मार्ट मीटर का प्रोजेक्ट कैसे कामयब होगा यह एक सोचने का विषय है। वहीं बिजली बोर्ड में SCADA पर पहले ही 300 करोड़ रुपये की राशि खर्च कर दी गयी है लेकिन इसमें कोई भी सॉफ्टवेयर कार्य नहीं कर रहे है, लेकिन इसके बावजूद फिर से SACADA पर खर्चा किया जा रहा है।

 

*इसके अतिरिक्त इस कन्वेंशन में निम्नलिखित मांगो को सर्वसम्मति पारित किया गया:*

 

1. केंद्र सरकार बिजली संशोधन बिल, 2022 को बापिस ले और बिजली बोर्ड में स्मार्ट मीटरिंग बंद की जाए। यूनियन का मानना है कि यह सब बिजली कंपनी के निजीकरण के लिए लाए जा रहे है।

 

2. बिजली बोर्ड में वर्ष 2003 के बाद लगे कर्मचारियों को प्रदेश सरकार की तर्ज पर पुरानी पेंशन बहाल की जाए।

 

3. बिजली बोर्ड के उत्पादन व संचार विंग के काम को बिजली बोर्ड के पास ही रखा जाए क्योंकि इसको अलग करने से बिजली उपभोक्ताओं की दरों में बृद्धि होगी।

 

4. प्रदेश में लगे आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाने की मांग की जिससे इन कर्मचारियों का समायोजन सम्बंधित महकमों किया जा सके। 

 

5. बिजली बोर्ड में टी0मेट व हेल्पर की पदोन्नति कर इन पदों व अन्य खाली पड़े पदों को शिघ्र भर्ती करे बिजली बोर्ड मैनेजमेंट।

 

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Deepika Sharma

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