
प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल आईजीएमसी, जहां रोगियों की संख्या बहुत अधिक इलाज के लिए रहती है। वही आए दिनों यहां की अव्यवस्थाओं के चलते रोगियों और तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है|

शिमला के युवक मुकेश ने यहां के स्ट्रेचर और शौचालय की खराब स्थिति पर हिमाचल स्वास्थ्य मंत्री से व्यवस्था जांचने की गुहार लगाई है।उनका कहना है की आईजीएमसी में घंटो तक मरीज का इलाज स्ट्रेचर पर किया जाता है। उसे टेस्ट के लिए भी ले जाना पड़ता है तो ऊपरी मंजिल से नीचे और नीचे की मंजिल से ऊपर तक स्ट्रेचर पर ही मरीज को ले जाना पड़ता है। लेकिन ऐसे में स्टीचर की हालत इतनी दयनीय है कि इसे लेकर मुकेश शिकायतकर्ता का कहना है कि इसे पर प्रशासन को जरूर ध्यान देना चाहिए। कई बार मरीज का इलाज लंबे समय तक स्ट्रेचर पर इसलिए भी किया जाता है क्योंकि कई बार उसे बेड नहीं मिल पाता है और उसे स्ट्रेचर पर ही भर्ती रहना पड़ता है। शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि

साथ ही शौचालय के आसपास से गुजरने वाले मरीज और उनके परिजनों
को मुंह पर कपड़ा ढककर यहां से गुजरने पर मजबूर है

| डस्टबिन तो मौजूद है परंतु गंदगी डस्टबिन के आसपास जमीन पर बिखरी हुई है। उधर स्ट्रक्चर की ही बात की जाए तो कई स्ट्रक्चर
टूटे हुए हैं जिससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मुकेश का कहना है कि कई बार स्ट्रचर लेने के लिए मरीजों के तीमारदार के पास सिक्योरिटी के लिए छुट्टे पैसे नहीं होते जिससे उन्हें समय रहते यह सुविधा नहीं मिल पाती है।सिक्योरिटी के लिए संबंधित प्रशासन द्वारा ₹100 लिया जाता है लेकिन कई बार छुट्टे पैसे नहीं होने के कारण संबंधित मरीज के तीमारदार से ₹500 भी ले दिए जाते हैं। जिससे निम्न वर्ग के मरीज को आगामी इलाज के लिए पैसे की भी दिक्कत आ जाती है।
करोना जैसी महामारी के समय प्रदेश के बड़े अस्पताल की ऐसी हालात सच में एक चिंता का विषय है ।आम आदमी को कब तक ऐसी परिस्थिति का सामना करेगा यह एक बड़ा सवाल है
मुकेश नाम के एक व्यक्ति ने प्रशासन के कान तक यह बात पहुंचाने का प्रयास किया है।




