असर संपादकीय: पोस्टमार्टम के इस तरीके से बची मानव भावनाएं, संक्रमण का खतरा भी होगा कम
डॉक्टर राहुल गुप्ता की कलम से...
आईजीएमसी के फोरेंसिक विशेषज्ञ डॉक्टर राहुल गुप्ता का कहना है कि

पहला पोस्टमोर्टम या पहली फोरेंसिक या कानूनी शव परीक्षा, जिसमें “दोष” की उपस्थिति निर्धारित करने के लिए मौत की जांच की गई थी, कहा जाता है कि 1302 में बोलोग्ना में एक मजिस्ट्रेट द्वारा अनुरोध किया गया था। पोस्टमोर्टम को करने के लिए शव् अंदर से डॉक्टरी जांच के लिए ठोड़ी से लेकर कुल्हे तक गर्दन चेस्ट और पेट पर चीरा दिया जाता है । ताकि शरीर के अंदर के सभी महत्वपूर्ण अंगों की डॉक्टरी जांच की जा सकें और यह निर्धारित किया जा व्यक्ति सके की उस व्यक्ति की मौत कैसें हुईं है।

दुर्घटना से या सुसाइड से या फिर हत्या करने से, सन 1302 से लेकर अब तक सिर्फ चार ही तरीके से ये चीरा डॉक्टर्स के द्वारा दिया जाता था। डॉक्टर राहुल गुप्ता ने बताया की पोस्टमॉर्टेम के दौरान और तमीरदारों की भावना को समझने की कोशिश की तो उनको लगा की क्यों लोग पोस्टमॉर्टेम से परहेज करते हैं ।
जिसकी मुख्य बजह शव पर सामने दिखने वाला चीरा उन परिवारजनों को व्यथित करता है और साथ ही साथ बहुत सारा शव के शरीर से तरल पदार्थ खून भी निकलता है, जिस से की अंतिम संस्कार के समय असुरक्षा का भाव रहता है ।
और ऎसा लगता है की शव का निरादर हुआ है ।डॉक्टर की तरह सोचा जाये तो संक्रमण का भी डर रहता है ।
इसीलिए एक जितना हो सके उतना सुरक्षित चीरा ईज़ाद इज़ाद किया जा सके ताकि लोगो की भावना का भी सम्मान किया जा सके ।
उन्होने आगे बताया की पोस्टमॉर्टेम कानून की मदद के साथ साथ कई बिमारियों की जानकारी भी देता है, जो जिन्दा लोगो के इलाज़ में मदद करता है इसलिए लोग ये न सोचें की शव को मनमर्ज़ी तऱीके से काटा जाता है बल्कि ये प्रक्रिया एक व्यज्ञानिक तरीका है।
जिस दौरान डॉक्टर शव का पूरा सम्मान भी रखते हैँ।उन्होंने बताया की इस पर रिसर्च कर जब एक शोध छापा गया।उसके बाद अब ये नया चीरा पोस्टमॉर्टेम के लिए फॉरेंसिक विषय का हिस्सा बन चुका है ।
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सरकार को धन्यवाद
वह हिमाचल प्रदेश सरकार का धन्यवाद करते हैं की उनको ये आशीर्वाद जो फॉरेंसिक विषय में अमर होने का मिला ।
वह प्रदेश सरकार की नौकरी के दौरान अच्छा पढ़ाई का वातावरण होने की बजह से मिला।
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क्या कहते है डॉक्टर गुप्ता
डॉ राहुल गुप्ता ने सभी शुभ चिंतको और उन् सभी लोगो का धन्यवाद किया। जो पोस्टमॉर्टेम के लिए परिजन का शव चिकित्सा जगत की और बेहतरी के लिए देते हैं ताकि नए नए उपचार के साथ नई नई बिमारियों की पहचान भी संभव हो सके ।और सारी दुनिया को रोग मुक्त किया जा सके प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य संस्थान की दुनिया भर में और गरिमा बड़े। इस पर उहोंने कहा कि वह
हमेशा जन सेवा करना पसंद करेंगे।



