संस्कृति

खास खबर: फिर याद किए बाबा भलखू…

30 लेखकों ने भलकू के पुश्तैनी घर झाझा (चायल) जाकर भलकू के परिजनों से की मुलाकात। उनकी याद में गोष्ठी भी की आयोजित।

 

अमृत महोत्सव पर हिमालय साहित्य मंच ने बाबा भलकू और समस्त कामगरों की स्मृति में समर्पित की रेल और झाझा यात्राएं: 30 लेखकों ने भलकू के पुश्तैनी घर झाझा (चायल) जाकर भलकू के परिजनों से की मुलाकात। उनकी याद में गोष्ठी भी की आयोजित।

 

 

 

कालका शिमला खिलौना रेलगाड़ी में बाबा भलकू और अन्य कामगरों की स्मृति में आयोजित यात्रा के सफल आयोजन के बाद 14 अगस्त, 2022 को मंच के सदस्य लेखकों और देश के विभन्न स्थानों से आए 15 प्रख्यात लेखकों, रंग कर्मियों और संगीतकारों ने भलकू के पुश्तैनी गांव झाझा जा कर उनकी छठी पीढ़ी के परिजनों से मुलाकात की और भलकू को ब्रिटिश सरकार द्वारा दिए गए कई प्रशंसा पत्रों और विशेषकर ओवरशियर की नियुक्ति के मूल पत्र का अवलोकन किया। निरक्षक परन्तु दुर्लभ प्रतिभा और दिव्यता के धनी भलकू मजदूर को ब्रिटिश सरकार के उच्च अधिकारी के इन पत्रों में साफ लिखा है कि भलकू के बिना हिन्दुस्तान तिब्बत रोड़ का निर्माण असंभव था। उनके परिवार के एकमात्र वरिष्ठ सदस्य दुर्गादत ने भलकू से सम्बन्धित कई दुर्लभ और महत्वपूर्ण जानकारियों भी लेखकों से साझा की। हिमालय मंच ने अपनी इस अनूठी यात्रा और आयोजन को आजादी के अमृत महात्सव को समर्पित करते हुए रेलवे और प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि उनके पुश्तैनी प्राचीन घर को संरक्षित करके वहां तक रेलवे लाइन का निर्माण किया जाए ताकि ब्रिटिश सरकार के बाद हिमाचल सरकार भी इस मजदूर को उचित सम्मान दे सके। भलकू परिवार के युवा किसान सुशील कुमार के आतिथ्य में उनके घर एक गोष्ठी भी आयोजित की गई जिसमें दुर्गादत सहित भलकू के सभी परिजन उपस्थित रहे। परिवार की वरिष्ठ और युवा महिलाओं ने लेखकों का बढ़चढ़ कर स्वागत किया। चायल साहित्य परिषद और गांव के लोगों ने भी लेखकों से मुलाकात की। यह जानकारी हिमालय मंच के अध्यक्ष और इस यात्रा के सूत्रधार संयोजक एस.आर.हरनोट ने आज मीडिया को दी।

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हरनोट ने बताया कि झाझा गांव के लिए यात्रा हिमाचल पर्यटन विकास निगम की डिलक्स बस में साढ़े आठ बजे शुरू हुई और लेखकों ने निगम के कैफे ललित में जलपान करने के बाद कुफरी नेचर पार्क का भ्रमण किया जिसके उपरांत पर्यटन निगम के हैरिटेज पैलेस होटल चायल में दोपहर के भोजन के बाद वहां भी एक गोष्ठी का आयोजन किया। सभी लेखकों ने पर्यटन निगम कुफरी स्थित कैफे ललित के प्रबंधक दिलीप ठाकुर, उनके स्टाफ और पैलेस होटल के प्रबंधक विपिन ठाकुर और उनके कर्मचारियों द्वारा लेखकों के स्वागत की सराहना की और उनके कुशल प्रबंधन और मधुर व्यवहार की तारीफ करते हुए हिमाचल सरकार तथा पर्यटन निगम को इन धरोहर स्थलों को पर्यावरण की दृष्टि से विकसित करने और साफसुथरा रखने के लिए भी बधाई दी।

 

 

 

इस यात्रा की खूबसूरती यह रही कि भारी बारिष के बावजूद भी लेखक उत्साहित थे और चलती बस में कई सत्रों में कहानी, कविता, संगीत और संस्मरणों के सत्र आयोजित किए गए। कवि गोष्ठी में प्रख्यात कवि आलोचक मदन कश्यप, कवि पत्रकार राकेशरेणु और अजेय के कविता पाठ ने समय बांध दिया जिसके कारण यह सत्र अति जरूरी और महत्वपूर्ण हो गया। कहानीकार, संगीतकार और शोधकर्ता सुनैनी शर्मा ने पंजाबी लोकगीत, गजलों और फिल्मी गानों से समा बांध दिया। वरिष्ठ लेखक रंगकर्मी निलेश कुलकर्णी ने श्रीलंका की अपनी यात्रा के रामायण को लेकर बहुत की अनूठी जानकारियां साझा कीं। अमृतसर से आए युवा कवि गीतकार लखविंदर सिंह और लखनऊ से पधारे युवा कवि मनोज मंजुल और नरेश देयोग ने भी कई लोकगीत सुनाए। अंतिम सत्र इस यात्रा के अनुभव का सत्र था जिसमें बाहर से यात्रा में शामिल लेखकों ने हिमालय मंच की पूरी टीम को इस दुर्लभ आयोजन के लिए भूरी भूरी प्रशंसा की और आभार व्यक्त किया। यह भी आग्रह किया कि अगले वर्ष भी उन्हें इस परिवार में जरूर शामिल करें। यात्रा का समापन रात्री दस बजे हुआ।

 

 

 

अन्य लेखकों जिन्होंने गोष्ठियों में अपने सृजन से उपस्थिति दर्ज की उनमें मलिक राजकुमार, नवनीत पांडे, सरिता कुलकर्णी, राजुरकर राज, रामकृष्ण शर्मा, सुभाष अग्रवाल, घनश्याम मैथिल, लखविंदर सिंह, दीप्ति सारस्वत, गुप्तेश्वरनाथ उपाध्याय, कौशल्या ठाकुर, दक्ष शुक्ला, जगदीश कश्यप, अनिल शर्मा नील, रत्नचंद निर्झर, अश्वनी कुमार, स्नेह नेगी, सुमन धंनजय, विरेंद्र कुमार, योगराज शर्मा, जगदीश हरनोट के साथ दो छात्र काव्यांश और कर्मण्य शामिल रहे।

 

 

Deepika Sharma

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