निष्कासन: कुछ स्वयंभू शिक्षकों को पद सहित 3 साल के लिए संघ की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया – चौहान
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 10 अप्रैल को पांच स्वयंभू शिक्षकों ने हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के नाम पर प्रेस वार्ता कर संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान को ही निष्कासित कर स्वयं को अध्यक्ष बना लिया था जो कि एक अपने आप में बहुत बड़ी ऐतिहासिक घटना थी संघ के संविधान के अनुसार आर्टिकल 6 के पैरा 8 के अनुसार केवल और केवल प्रदेश अध्यक्ष को ही यह अधिकार दिए गए हैं कि वह संघ के किसी भी पदाधिकारी या सदस्य को निष्कासित कर सकता है यदि उसे लगे कि उक्त पदाधिकारी या सदस्य ने संगठन की गरिमा को ठेस पहुंचाए है या संगठन के प्रति वफादार नहीं है या किसी तरह का अनुशासनहीनता यह संगठन को कमजोर करने का काम किया जा रहा है । उस स्थिति में प्रदेश अध्यक्ष किसी भी पदाधिकारी को निष्कासित या बर्खास्त कर सकता है यहां तक की प्राथमिक सदस्यता से भी 3 साल के लिए निलंबित कर सकता है ।



संविधान के आर्टिकल 11 के सेक्शन 8 में नो कॉन्फिडेंस मोशन लाने का भी प्रावधान रखा गया है जिसमें संघ के किसी भी चुने हुए पदाधिकारी या प्रधान के खिलाफ भी नो कॉन्फिडेंस मोशन लाया जा सकता है उसके लिए सबसे पहले काउंसिल के कुल सदस्य / delegates का एक चौथाई भाग महासचिव को स्टेट काउंसिल की इमरजेंसी / एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी मीटिंग निर्धारित करने के लिए लिखित में आवेदन करेगा उसके बाद महासचिव के द्वारा इस संबंध में कम से कम 3 दिन पहले एजेंडा नोटिस काउंसिल के सभी डेलीगेट/सदस्य को लिखित में जारी करने का प्रावधान है। बैठक के दौरान फोरम पूरा होना आवश्यक है जिसमें चुने हुए पदाधिकारी के लिए कुल डेलिगेट का आधा और nominate पदाधिकारी के लिए एक बटे चौथा भाग होना आवश्यक है उसके बाद यदि नो कॉन्फिडेंस मोशन के दौरान किसी भी पदाधिकारी को हटाना है तो उस हाउस की दो बटे तीन मेजॉरिटी के साथ वोटिंग द्वारा ही उसे बर्खास्त किया जा सकता है। आप को बात दे की 9 November 2019 को संघ के जो त्रीवर्षिक चुनाव हुए थे उसमे 536 डेलिगेट ने भाग लिया था।
लेकिन जिस तरह से प्रदेश अध्यक्ष को 6 लोगों ने मिलकर प्रेस वार्ता करके पद से बर्खास्त करने का ड्रामा किया था वह एक बहुत बड़ी अनुशासनहीनता है और संगठन को तोड़ने की बड़ी साजिश है जिसको लेकर 12 अप्रैल 2022 को संघ की राज्य कार्यकारिणी की आपात बैठक गूगल मीट के माध्यम से रखी गई थी जिसमें जिला अध्यक्षो, खंड अध्यक्षो एवम राज्य कार्यकारिणी के सदस्य ने भाग लिया था और कड़ी आपत्ति जताते हुए ऐसे लोगों को संगठन से बाहर करने का एक स्वर से निर्णय लिया था क्योंकि ऐसे लोग संगठन की एकता और अखंडता पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है इतनी बड़ी अनुशासनहीनता और संगठन के संविधान के साथ खिलवाड़ तथा वेबफाइ तथा 2 बर्षो तक संगठन मे निष्क्रियता के कारण 12 अप्रैल को सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया जिसके लिए प्रदेश अध्यक्ष को अधिकृत किया गया कि श्याम लाल हांडा , देवराज ठाकुर , महावीर कैंथला, सुनील शर्मा और कैलाश ठाकुर को इस संदर्भ में अपना पक्ष रखने के लिए 7 दिन का समय दिया जाए और यदि उनका कोई सकारात्मक जवाब नहीं आता है तो उन्हें निष्कासित कर 3 साल के लिए प्राथमिक सदस्यता से भी बाहर किया जाए इसी संदर्भ में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष द्वारा 13 अप्रैल को शो कॉज नोटिस दिए गए थे जिसमें उक्त सदस्यों से ऐसा करने का कारण पूछा गया था लेकिन कल तक उनकी तरफ से 7 दिन बीत जाने तक किसी तरह का स्पष्टीकरण नहीं आने पर प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने इन पांचों सदस्यों को पद से बर्खास्त करके 3 साल के लिए प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया है अब यह पांचों सदस्य हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के मेंबर नहीं है।
इस दृष्टि से यह लोग हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ का नाम या लोगों किसी भी रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं ऐसा करने पर इनके खिलाफ न्यायालय में कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी




