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बड़ी खबर : वाह रे मंत्री जी” क्या दिया बयान”मानवीय भूल होती तो गाड़ी व्यास नदी में समा जाती

हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति का दावा झूठे आंकड़े पेश किए मंत्री ने

 

हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के अध्यक्ष  समर चौहान, उपाध्यक्ष  पूर्ण चन्द शर्मा, सचिव  खेमेन्द्र गुप्ता, प्रवक्ता  संजय कुमार, कोषाध्यक्ष  जगदीश चन्द एवम् सर्व श्री हितेंद्र कंवर, गोपाल लाल, देवी चन्द, देश राज, राय सिंह, धनी राम, सुख राम, प्रेम सिंह, अनित कुमार, ऋषि लाल, संजीव कुमार, नवल किशोर, टेक चन्द, विजय कुमार, यशपाल सुल्तानपुरी, सुशील कपरेट, ने संयुक्त ब्यान में खेद प्रकट करते हुए कहा है कि माननीय परिवहन मंत्री का पंडोह मण्डी बस हादसे के लिए शहीद हुए चालक को जिम्मेदार ठहराने को लेकर आज जो ब्यान आया है वह गैर जिम्मेदाराना व अशोभनीय है। परिवहन कर्मचारी मंडी हादसे में शहीद हुए अपने चालक साथी के मान सम्मान के खिलाफ लगाए जा रहे बेबुनियाद आरोपों को किसी कीमत पर सहन नहीं करेंगे। क्योंकि प्रथम दृष्टया यदि यह मानवीय भूल होती तो गाड़ी व्यास नदी में समा जाती। चालक को जैसे ही पता चला होगा कि उक्त गाड़ी में तकनीकी खराबी आई है तो उसने गाड़ी व यात्रियों को बचाने के लिए एकदम से प्रयास शुरू किए। जिसके लिए ही उसने मेन रोड से गाड़ी को मोड़कर दूसरे रोड पर ले जाकर पहाड़ी से टकराना ही उचित समझा।

समन्वय समिति मांग करती है कि पंडोह मण्डी बस हादसे को लेकर न्यायिक जांच की जानी चाहिए। समिति के पास ये सभी साक्ष्य मौजूद है जो यह सिद्ध करते हैं कि वह मानवीय भूल नहीं बल्कि तकनीकी खराबी थी।

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कर्मशाला में स्टॉफ़ व कलपुर्जे की कमी के लिए भी मन्त्री जी ने प्रदेश की जनता को झूठे आंकड़े पेश किए हैं। क्योंकि निगम में प्रति बस पर तकनीकी कर्मचारियों का निर्धारित नॉर्म 1.40 है इस हिसाब से 3350 बसों के रखरखाव के लिए 4690 तकनीकी कर्मचारी होने चाहिए। जबकि वर्तमान में पीस मील कर्मचारियों को मिलाकर भी तकनीकी वर्ग के मात्र 1800 पद ही भरे गए हैं।मंत्री जी किस आधार पर तकनीकी स्टॉफ की कमी को नकार रहे हैं।

निगम के स्टोरों में कलपुर्जे की उपलब्धता पर समिति का कहना है कि निगम को कलपुर्जे सप्लाई करने वाली फर्मों का करोड़ों रुपया बकाया देने को है जिस कारण यह फर्में समय-समय पर कलपुर्जे देने से मना कर देती है। कलपुर्जे को खरीदने के लिए जितनी राशि की आवश्यकता होती है उससे आधी राशि भी स्टोर को नही दी जाती। जिस कारण अक्सर समय पर सही स्तर के कलपुर्जों की कमी हमेशा बनी रहती है। बसों की मुरम्मत के लिए कर्मशालाओं में बसें खड़ी करने को जगह नहीं है। नए डिपो खोले जा रहे हैं। कर्मशाला टिन के छप्पर के नीचे धूल व कीचड़ में चलाई जा रही है।

मन्त्री जी अच्छा होता आप प्रबन्धन की कमियां छिपाने के स्थान पर प्रशासनिक अमले को चुस्त दुरुस्त कर कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने की कोई योजना तैयार करते। जिससे परिवहन निगम को व्यापक सुधार कर पटरी पर लाया जा सकता। मंत्री जी से आग्रह है कि लीपापोती के बजाय इन मूलभूत कमियों को दूर करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

 

Deepika Sharma

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