असर विशेष: जानें, कैसे बचाएं केके जैसे मरीजों को…
डॉक्टर रमेश की कलम से....कुछ दिन पहले गायक के के की युवावस्था में ही कार्डियक अरेस्ट से अचानक मौत की खबर आई!

डॉक्टर रमेश….
कुछ दिन पहले गायक के के की युवावस्था में ही कार्डियक अरेस्ट से अचानक मौत की खबर आई!
आखिर ये कार्डियक अरेस्ट है क्या ?
अचानक अचानक दिल का काम करना बंद हो जाना. ये कोई लंबी बीमारी का हिस्सा नहीं है इसलिए ये दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है.
दिल के दौरे से है अलग
लोग अक्सर इसे दिल का दौरा पड़ना समझते हैं. मगर ये उससे अलग है.
कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल शरीर के चारों ओर खून पंप करना बंद कर देता है. मेडिकल टर्म में कहें तो “हार्ट अटैक सर्कुलेटरी” समस्या है जबकि कार्डियक अरेस्ट , “इलेक्ट्रिक कंडक्शन” की गड़बड़ी की वजह से होता है.
‘कार्डियक अरेस्ट’ में दिल का ब्लड सर्कुलेशन पूरी तरह से बंद हो जाता है. दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फिब्रिलेशन पैदा हो जाने से इसका असर दिल की धड़कन पर पड़ता है. इसलिए कार्डियक अरेस्ट में कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है.
क्या होते हैं लक्षण :
कार्डियक अरेस्ट वैसे तो अचानक होता है. हालांकि जिन्हें दिल की बीमारी होती है उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका ज्यादा होती है. कभी-कभी कार्डियक अरेस्ट से पहले छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी, पल्पीटेशन, चक्कर आना, बेहोशी, थकान या ब्लैकआउट हो सकता है.
कैसे होता है इलाज ?
इसके इलाज के लिए मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (सीपीआर) दिया जाता है, जिससे उसकी दिल की धड़कन को रेगुलर किया जा सके.
सीपीआर क्या है और कैसे देते हैं –
मरीज या घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए सीपीआर एक बहुत महवपूर्ण तरीका है। सीपीआर की फुल फॉर्म “कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन” (Cardiopulmonary resuscitation) है।
इसे विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं –
Cardio मतलब ‘दिल’ से
Pulmonary मतलब फेफड़ों से (साँस)
Resuscitation मतलब पुनर्जीवन (होश में लाना),
यानी रुकी हुये दिल की धड़कन, रुकी हुई साँसों को चला कर मरीज को मौत के मुँह से वापिस लाना!
इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है।
सीपीआर देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी जरूरी है।
सीपीआर क्या है –
सीपीआर एक ‘आपातकालीन’ स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है। सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और साँस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है जिससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है।
हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, डूबना, सांस घुटना और करंट लगना जैसी स्थितियों में सीपीआर की आवश्यकता हो सकती है।
अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है, तो जल्द से जल्द उसे सीपीआर दें क्योंकि पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं। मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ ही मिनटों में खत्म होने लगती हैं, जिससे गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है।
अगर आप को सीपीआर देना आ जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं, क्योंकि सही समय पर सीपीआर देने से व्यक्ति के बचने की सम्भावना दोगुनी हो सकती है।
निम्नलिखित स्थितियों में सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है –
अचानक गिर जाना –
व्यक्ति के अचानक गिर जाने पर या बेहोश होने पर सांस और नब्ज़ देखें।
इसको ‘ABC’ से याद रखा जा सकता है –
A- Airway यानी साँस का रास्ता खुला है या नहीं,चेक करें मुँह में या गले में कुछ फंसा तो नहीं है जैसे खून खाना,उल्टी, मिट्टी, दांत पानी थूक, कपड़ा वगैरा,
इसे तुरंत साफ़ करें!
B- Breathing यानी मरीज़ साँस ले पा रहा है या नहीं!
C- Circulation यानी नाड़ी चेक करें चल रही है या नहीं इसी से पता चल जाएगा दिल धड़क रहा है या रुक गया है!
याद रखिए बेहोश मरीज़ को कोई खाने की वस्तु या पीने को उसके मुँह में डालने की कोशिश भी न करें, उसकी साँस की नली में जा सकता है, समस्या और गम्भीर हो सकती है-
पानी के छींटे मुँह पर मार सकते है!
सीपीआर कब देना चाहिए –
बेहोश होने पर-
बेहोश होने पर व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करें और अगर वह होश में न आए, तो उसकी सांस और नब्ज़ देखें।
सांस की समस्याएं –
सांस रुक जाना या अनियमित सांस लेने की स्थिति में सीपीआर देने की आवश्यकता होती है।
नब्ज़ रुक जाना –
अगर व्यक्ति की नब्ज़ नहीं मिल रही है, तो हो सकता है उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया हो। ऐसे में व्यक्ति को सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है।
करंट लगने पर –
अगर किसी व्यक्ति को करंट लगा है, तो उसे छुएं नहीं। लकड़ी की मदद से उसके आसपास से करंट के स्त्रोत को हटाएँ और इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी वस्तु में करंट पास न हो सके।
डूबना/ ड्रग्स/ धुंए के संपर्क में आना – इन स्थितियों में व्यक्ति की नब्ज़ व सांस की जांच करें। उसे सीपीआर की आवश्यकता हो सकती है।
सीपीआर देने से पहले करें जांच –
क्या आसपास का वातावरण व्यक्ति के लिए सुरक्षित है?
व्यक्ति होश में है या बेहोश है?
अगर व्यक्ति बेहोश है, तो उसके कंधे को हिलाकर ऊँची आवाज़ में पूछें कि क्या वह ठीक हैं।
अगर व्यक्ति जवाब नहीं देता है
आपके पास फोन है, तो सीपीआर शुरू करने से पहले तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं।
सीपीआर कैसे देते हैं –
सीपीआर में व्यक्ति की छाती को दबाना और उसे मुंह से सांस देना शामिल होते हैं। बच्चों और बड़ों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है,
बड़ों को सीपीआर देने का तरीका –
एक साल से लेकर किशोरावस्था तक के बच्चों को सीपीआर उसी तरह दिया जाता है जैसे बड़ों को दिया जाता है। हालांकि, चार महीने से लेकर एक साल तक के बच्चों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है।
बच्चों को सीपीआर कैसे देते हैं –
ज़्यादातर नवजात शिशुओं को “कार्डियक अरेस्ट” होने का कारण होता है डूबना या दम घुटना। अगर आपको पता है कि बच्चे की श्वसन नली में रुकावट के कारण वह सांस नहीं ले पा रहा है, तो दम घुटने के लिए किए जाने वाले फर्स्ट ऐड का उपयोग करें। अगर आपको नहीं पता है कि बच्चा सांस क्यों नहीं ले रहा है, तो उसे सीपीआर दें।
शिशु की स्थिति को समझें और उसे छूकर उसकी प्रतिक्रिया देखें लेकिन बच्चे को तेज़ी से हिलाएं नहीं।
अगर बच्चा कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो सीपीआर शुरू करें।
बच्चे के पास घुटनों के बल बैठें।
नवजात शिशु को सीपीआर देने के लिए अपनी दो उँगलियों का इस्तेमाल करें और उसकी छाती को 30 बार दबाएं (1.5 इंच तक)।
उसे 2 बार मुंह से सांस दें।
जब तक मदद न आ जाए या बच्चा सांस न लेने लगे या आप बहुत अधिक थक न जाएं या स्थिति असुरक्षित न हो जाए, तब तक बच्चे को सीपीआर देते रहें।
बड़ों को सीपीआर देने का तरीका –
छाती दबाना
व्यक्ति को एक समतल जगह पर पीठ के बल लिटा दें।
व्यक्ति के कन्धों के पास घुटनों के बल बैठ जाएं।
अपनी एक हाथ की हथेली को व्यक्ति की छाती के बीच में रखें। दूसरे हाथ की हथेली को पहले हाथ की हथेली के ऊपर रखें। अपनी कोहनी को सीधा रखें और कन्धों को व्यक्ति के की छाती के ऊपर सिधाई में रखें।
अपने ऊपर के शरीर के वजन का इस्तेमाल करते हुए व्यक्ति की छाती को कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) और ज़्यादा से ज़्यादा 2.5 इंच (6 सेंटीमीटर) तक दबाएं और छोड़ें। एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें।
अगर आपको सीपीआर देना नहीं आता है, तो व्यक्ति के हिलने डुलने तक या मदद आने तक उसकी छाती दबाते रहें।
अगर आपको सीपीआर देना आता है और आपने 30 बार व्यक्ति की छाती को दबाया है, तो उसकी ठोड़ी को उठाएं जिससे उसका सिर पीछे की ओर झुकेगा और उसकी श्वसन नली खुलेगी –
सांस देना
घायल व्यक्ति को साँस देने के दो तरीके होते हैं, ‘मुंह से मुंह’ में साँस देना और ‘मुंह से नाक’ में साँस देना। अगर व्यक्ति का मुंह बुरी तरह से घायल है और खुल नहीं सकता, तो उसे नाक में सांस दिया जाता है।
व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और मुंह से साँस देने से पहले व्यक्ति की नाक को बंद करें।
पहले एक सेकंड के लिए व्यक्ति को सांस दें और देखें कि क्या उसकी छाती ऊपर उठ रही है। अगर उठ रही है, तो दूसरी दें। अगर नहीं उठ रही है, तो फिर से व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और सांस दें।
हर जिम्मेवार नागरिक को इसकी ट्रेनिंग होनी चाहिए,
आप कहीं भी,कभी भी अपने इस “विशेष ज्ञान” से बिना किसी दवाई के आपातकालीन स्थिति में बेशकीमती जानें बचा सकते हैं !


