कोरोना काल में छात्र हॉस्टल में रहा ही नहीं तो छात्र क्यों हॉस्टल फीस दे?

आज एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा विश्वविद्यालय के होस्टलो में रह रहे छात्रों की समस्याओं को लेकर वित्त अधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई ने वित्त अधिकारी को ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि छात्रों से 2020-2021 के सत्र की हॉस्टल कंटीन्यूशन फीस न ली जाए।
SFI का साफ मानना है कि जब कोरोना काल में छात्र हॉस्टल में रहा ही नहीं तो छात्र क्यों हॉस्टल फीस दे?
वर्तमान समय में कोरोना महामारी जिससे पूरा देश और विश्व जूंझ रहा है ऐसे समय में बहुत से लोगो ने अपनी आमदनी के साधन खोए है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पढ़ने वाला अधिकतर छात्र समुदाय आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से संबंध रखता है। ऐसे में इस समय में जहां तो वि वि प्रशासन को छात्रों के लिए फीस पर रियायतें देनी चाहिए थी वहीं इसके विपरीत विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों से जबरदस्ती फीस वसूलने में लगा हुआ है। जिससे छात्र मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। कोरोना काल में सिर्फ परीक्षा के समय ही हॉस्टल खुले थे जिसके लिए छात्रों ने उतने समय की फीस उस समय दे दी थी और उसके बाद उस सेशन में अधिकतर समय हॉस्टल बंद ही रहे थे। अब विश्विद्यालय किस आधार पर छात्रों से फीस मांग रहा है यह सवाल एसएफआई ने वित्त अधिकारी के समाने रखा है। एसएफआई ने बताया कि बहुत से छात्र ऐसे है जिनकी विश्वविद्यालय प्रशासन अब डिग्री लेने पर भी रोक लगा रहा है।
एसएफआई इकाई अध्यक्ष साथी रॉकी ने कहा कि कोरोना काल की होस्टल कंटीन्युशन फीस को माफ किया जाना चाहिए क्योंकि कोरोना ने पहले छात्रों की आर्थिक स्थिति खराब कर दी है और छात्रों ने होस्टल सुविधा का उपयोग भी नहीं किया है।
एस एफ आई ने कहा है कि अगर जल्द से जल्द इन छात्र मांगों को पूरा नहीं किया गया तो आने वाले समय में एसएफआई आम छात्रों को लामबंद करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी।


