सम्पादकीय

असर संपादकीय: ध्वज गणतंत्र का फहराएं

डॉ एम डी सिंह की कलम से

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एक थे हम एक रहेंगे प्रतिज्ञा पुनः हम दोहराएं

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एक मन एक पन से ध्वज गणतंत्र का फहराएं 

 

सहज सरल सी एक युक्ति हो

कठोर जितनी एक भुक्ति हो

हो एक चेतना एक वेदना

एक हो बंधन एक मुक्ति हो

 

गंण अनेक पर एक गीत एक स्वर में हम गाएं 

एक मन एक पन से ध्वज गणतंत्र का फहराएं 

 

मंत्र एक हों मांत्रिक जितने

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तंत्र एक हों तांत्रिक जितने

भिन्न भेष हो चाहे भाषा 

जंत्र एक हों जांत्रिक जितने 

 

जितना भी हो बोझ भारी गंण कंधा एक बन जाएं

एक मन एक पन से ध्वज गणतंत्र का फहराएं

 

डिगें नहीं सब लड़ें साथ में

जिएं सभी सब मरें साथ में

यहीं साधना यहीं सिद्धि हो 

लगे रहें सब करें साथ में 

 

यही क्षुधा यही दिखे तृष्णा जन गण मन मिल जाएं

एक मन एक पन से ध्वज गणतंत्र का फहराएं 

 

Deepika Sharma

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