विक्रमादित्य सिंह के व्यान, “स्वर्ण आयोग गठन” पर भड़के क्षेत्रवासी…

अनुसूचित जाति/जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ के संयोजक पूर्ण चन्द कश्यप ने लिखित प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्या सिंह द्वारा दिया गया हालिया ब्यान, “स्वर्ण समाज आयोग के गठन बारे” को अनुसूचित जाति / जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों द्वारा कड़ी आपत्ति दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि विधायक महोदय द्वारा दिया गया ऐसा व्यान उनकी संकीर्ण मानसिकता एवं आरक्षित वर्ग के प्रति मनुवादी सोच का परिचायक है। विधायक महोदय को समाज के सभी वर्गों के वोट मिले है जिसमें खासकर आरक्षित वर्ग का वोट उनके पक्ष में एक तरफा पड़ा था। परन्तु विधायक विक्रमादित्या सिंह आरक्षित वर्ग के हकों व उनकी मुलभूत समस्याओं से ना बाकिफ है और वेपरवाह है। उनमें रजवाड़ाशाही की बू है। कश्यप ने कहा कि ऐसा कहकर उनकी दलित विरोधी मानसिकता साफ झलकती है। वे अपने स्व. पिता श्री राजा विरभद्र सिंह जी के विचारों के विपरीत दलित विरोधी गतिविधियों में सन्लिपत होकर स्वर्ण समाज के हितेषी एवं पोषक उभरकर आए। जिसका आरक्षित समाज को मलाल है। विक्रमादित्या द्वारा स्वर्ण समाज आयोग के गठन के लिए एकमात्र व्यक्ति/जनप्रतिनिधि है जिन्होंनें 68 विधायकों में से एक ने ही स्वर्ण समाज आयोग गठन की माँग दोहराई है जिसके पीछे स्वार्थी एवं मौकाप्रस्त लोगों का नगेम चल रही है कि ऐसा करके विक्रमादित्या की छवि आरक्षित वर्ग के लोगों के प्रति धूमिल होगी और उनके पारम्परिक वोट बैंक पर सन्ध लगा सके। कश्यप ने कहा कि विक्रमादित्या द्वारा दिया गया एकपक्षिय गैरजिम्मेदाराना व्यान क्या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को विचारधारा का हिस्सा है या नहीं? यदि उनका यह व्यक्तिगत ब्यान /राय है तो प्रदेश कांग्रेस पार्टी को उन पर इस क्रित्य के लिए नकेल कसनी चाहिए। ताकि इस तरह की गैरजिम्मेदाराना ब्यान की पुनरावृत्ति ना हो सके। कश्यप ने कहा कि विक्रमादित्या सिंह द्वारा ऐसा ब्यान दिया जाना बच्चकाना हरकत एवं उनकी राजनीतिक अपरिपक्कवत्ता को दर्शाता है।
कश्यप ने चैतया है कि विक्रमादित्या सिंह यदि अपनी दलित समाज विरोधी मानसिकता/ रवैया नहीं बदलते है तो दलित समाज को उनके बारे में आने वाले आम चुनाव में सोचने के लिए विवश होना पड़ेगा। काबिलेगौर है कि दलित समुदाय का वोट कांग्रेस पार्टी का बहुतायात परम्परागत वोट रहा है और स्व राजा विरभद्रसिंह जी ने अपने जीवनपरयंत और लम्बी राजनैतिक पारी में कभी भी वर्ग विशेष की विकालत नहीं की और ना ही उन्होनें क्षेत्रवाद, जातिवाद और धर्म को राजनीति में आढ़े आने दिया वो निःस्वार्थ भाव से समग्र समाज के कार्ज दलगत राजनीति से उपर उठकर करते रहे और समूचे समाज को एक माला में बाधकर अपने कर्तव्य का सच्ची निषठा से निर्वहन करते रहे। इसलिए उन्होंने लम्बे समय तक हिमाचल प्रदेश की जनता के दिलों पर राज किया परन्तु विक्रमादित्या सिंह की खोपड़ी में यह बात नहीं घुस रही है और वह सर्वेसर्वा स्वर्ण समाज के हीरो बन रहे है। जो कि चतुर लोग कंवल व केवल उनकी छवि को खराब करने का परदे के पिछे खेल, खेलो रहे है। विक्रमादित्या सिंह को सलाह दी जाती है कि वह अपने कार्यकलाप और जुबान पर नियंत्रण रखे, दलित विरोधी मानसिता बदले। अन्यथा आगामी आम चुनाव में उन्हें इसके गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इस के अतिरिक्त कश्यप ने तथाकथित देवभूमि क्षत्रिय संगठन एवं स्वर्ण मोर्चा के नेताओं को आढ़े हाथ लेकर कहा कि उनकी माँग न्यायोचित नहीं है व प्रदेश में अशान्ति एवं तनाव का माहौल तैयार कर रहें है।


