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मानव अधिकार दिवस — अधिकार, चुनौती और जागरूकता की दिशा

आज “निजता का अधिकार” और “स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार” भी मानव अधिकारों में शामिल माने जाने लगे हैं

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लेखक — असर मीडिया हाउस डेस्क

दिनांक — 10 दिसंबर

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हर वर्ष 10 दिसंबर को दुनिया भर में मानव अधिकार दिवस मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1948 में प्रस्तुत सर्वजनिक मानव अधिकार घोषणा-पत्र (UDHR) की याद में मनाया जाता है। यह घोषणा मानव सभ्यता का वह ऐतिहासिक मोड़ था, जिसने दुनिया को बताया कि —
“हर व्यक्ति जन्म से स्वतंत्र है और सम्मान और अधिकारों में समान है।”

🔹 मानव अधिकार क्यों महत्वपूर्ण हैं?

मानव अधिकार सिर्फ कानून का विषय नहीं — यह सम्मान, सुरक्षा और स्वतंत्रता का आधार है। ये अधिकार व्यक्ति को राज्य, व्यवस्था या किसी भी समूह के अत्याचार से बचाते हैं।
इनका उद्देश्य —

  • असमानता से रक्षा

  • किसी भी प्रकार की हिंसा या शोषण से सुरक्षा

  • जीवन, अभिव्यक्ति और विश्वास की स्वतंत्रता

  • सम्मानजनक जीवन और न्याय पाने का अधिकार

मानव अधिकारों के 30 अनुच्छेद नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों की गारंटी देते हैं।


🇮🇳 भारत में मानव अधिकार — संवैधानिक संरक्षण और संस्थागत व्यवस्था

भारत का संविधान भी नागरिकों को कई मौलिक अधिकार देता है — समानता, स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता, संस्कृति की सुरक्षा और न्यायिक उपचार।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना वर्ष 1993 में की गई, जिसका उद्देश्य है—

  • मानव अधिकारों का संरक्षण

  • शिकायतों की सुनवाई

  • पुलिस हिरासत, जेलों और अत्याचार संबंधी मामलों की जांच

  • नीतिगत सलाह और रिपोर्ट

राज्यों में भी SHRC — राज्य मानव अधिकार आयोग इसी दिशा में कार्य करता है।


🧭 आज के समय में मानव अधिकार — नए आयाम, नई चुनौतियाँ

21वीं सदी में मानव अधिकार सिर्फ जेल अत्याचार या युद्ध तक सीमित नहीं। अब नए आयाम सामने हैं—

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आधुनिक चुनौतियाँ प्रभावित क्षेत्र
डिजिटल निगरानी, डेटा चोरी निजता का अधिकार
साइबर बुलिंग, हेट स्पीच अभिव्यक्ति
मानव तस्करी महिलाएँ व बच्चे
पर्यावरण प्रदूषण स्वास्थ्य व जीवन
फर्जी एनकाउंटर न्यायिक प्रक्रिया
नस्ल, जाति, धर्म आधारित नफरत सामाजिक सौहार्द
ऑनलाइन ट्रायल निर्दोषता की धारणा

आज “निजता का अधिकार” और “स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार” भी मानव अधिकारों में शामिल माने जाने लगे हैं।


✍ भारत में मानव अधिकारों पर विवाद — प्रश्न और जवाब

भारत में मानव अधिकारों की स्थिति पर समय-समय पर प्रश्न उठते रहे—

  • क्या न्याय मिलने में देरी न्याय से इनकार के बराबर है?

  • क्या कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून मानव अधिकारों को प्रभावित करते हैं या सुरक्षा की आवश्यकता?

  • क्या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बचा रहे हैं या नियंत्रित कर रहे हैं?

  • क्या भीड़ हिंसा (Mob Lynching) कानून के बजाय भीड़ के न्याय को बढ़ावा देती है?

यह बहस जारी है — सुरक्षा बनाम अधिकार और जिम्मेदारी बनाम स्वतंत्रता


🎯 मानव अधिकार दिवस का संदेश

इस दिवस का उद्देश्य केवल भाषण, कार्यक्रम या सोशल मीडिया पोस्ट नहीं —

  • लोकतंत्र की आत्मा मानव अधिकारों के सम्मान में है।

  • विकास अधिकारों की सुरक्षा के बिना अधूरा है।

  • सुरक्षा और स्वतंत्रता दोनों की समान आवश्यकता है।

प्रश्न यह नहीं कि अधिकार दिए गए या नहीं,
प्रश्न यह है — क्या हर नागरिक तक यह अधिकार सुरक्षित और समान रूप से पहुँच रहे हैं?


✍ असर मीडिया हाउस की अपील

मानव अधिकार तभी जीवित रहते हैं—
“जब समाज, मीडिया और सरकार मिलकर जागरूकता बढ़ाएँ, सवाल पूछें और हर मानव के सम्मान की रक्षा करें।”

Deepika Sharma

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