EXCLUSIVE: सर जी …हम स्कूली वर्दी में नहीं , घर के रंगीन कपड़ों में क्यों जाते है स्कूल..?
शिमला के एक सरकारी स्कूल के बच्चों की शिक्षा विभाग से गुहार

सरकार भले ही बच्चों को फ्री स्कूली वर्दी देने की हामी भरती हो लेकिन इसकी ग्राउंड रियल्टी कुछ और ही सामने आ रही है। शिमला के एक सरकारी स्कूल से ही ऐसा मामला आया है ।सरकारी सरकारी स्कूल के तीन बच्चों ने यह गुहार शिक्षा विभाग के सामने उठायी है।
इन्हें सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए लगभग दो वर्ष हो गए हैं लेकिन एक भी बार उन्हें स्कूली वर्दी निःशुल्क नहीं मिल पाई है । लिहाज़ा ये कि ये बच्चे घर के रंगीन कपड़ों में स्कूल जा रहे हैं
हालाँकि पहले शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को स्कूली वर्दी का कपड़ा दिया जाता था लेकिन अब प्रति बच्चे के खाते में 600 रूपये दिए जाते हैं
लेकिन न तो इन तीनों बच्चों को कपड़ा मिल पाया और न ही इन बच्चों को ड्रेस ख़रीदने के लिए 600 रुपये।
माताओं में राधा , मीरा (काल्पनिक नाम) का कहना है कि सरकार से विनम्र आग्रह है कि उनके बच्चों को भी स्कूली वर्दी देने की व्यवस्था की जाए।
ऐसे ही कुछ स्कूलों से और भी बच्चों और अभिभावकों की परेशानियां सामने आ रही है। जानकारी तो ये मिली है कि नेपाली मूल के बच्चों को ये दिक़्क़तें ज़्यादा झेलनी पड़ रही है।
बताया जा रहा है कि आधार कार्ड नहीं होने की वजह से इनके खाते नहीं है नतीजतन bank account नहीं है जिससे बच्चों को वर्दी का पैसा नही पहुँच पा रहा है
नेपाल मूल के बच्चों को आ रही ज़्यादा परेशानी
उठता है ये सवाल
फ़िलहाल सवाल तो ये भी उठता है कि जब फ्री ड्रेस की योजना सभी उस हर एक बच्चे के लिए हैं जो सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहा है तो उस हर एक बच्चे को इस फ्री वर्दी का लाभ क्यों नहीं मिल पाता है ?इसके लिए प्रशासन क्या कोई नया रास्ता नहीं उठा सकता ।
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अनुशासन का पहला पाठ सिखाता है स्कूली वर्दी में आना
स्कूल में बच्चे का पहला सबक़ अनुशासन होता है । इसमें बच्चों का स्कूल ड्रेस में आना उन्हें अनुशासन का पहला सबक़ देता है । ऐसे मैं निम्न वर्ग के कई बच्चों को ही फ्री वर्दी नहीं मिलना कई सवाल उठाता खड़े करता है।
यदि आप भी ऐसे स्कूली बच्चों को जानते है जिन्हें किसी वजह से किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है । आप असर न्यूज़ 9418275533 से संपर्क कर सकते हैं



