मरीजों के हितों से खिलवाड़! निजी लैबों पर लगाम लगाओ—कर्मचारी संघ का अल्टीमेटम

आईजीएमसी में प्राइवेट लैब कर्मियों की अनियमित घुसपैठ पर कर्मचारी संघ ने जताई नाराज़गी
शिमला। आईजीएमसी एवं दंत महाविद्यालय कर्मचारी संघ के प्रधान हरिन्द्र सिंह मैहता ने प्राइवेट लैब कर्मियों द्वारा अस्पताल परिसर में प्रवेश कर मरीजों के सैंपल एकत्रित कर ले जाने पर गंभीर आपत्ति जताई है। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. राहुल राव से मुलाकात की और प्रशासन का ध्यान इस अनियमित गतिविधि की ओर दिलाया।
मैहता ने कहा कि ऐसी शिकायतें आईजीएमसी प्रशासन को पहले भी मिलती रही हैं, जिनमें निजी लैब द्वारा मरीजों से अधिक शुल्क वसूलने जैसी बातें सामने आती रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में दूर-दराज से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति अक्सर कमजोर होती है। ऐसे में निजी लैबों द्वारा अनियमित तरीके से टेस्ट करवाना और अधिक शुल्क लेना अत्यंत चिंताजनक है। संघ ने इस तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल लैब संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
हरिन्द्र मैहता ने यह भी सवाल उठाया कि जब सरकारी टेक्नीशियन को 15–20 साल की नौकरी के बावजूद हर तीन वर्ष बाद पैरामेडिकल काउंसिल में अपना पंजीकरण नवीनीकरण करवाने के लिए शुल्क देना पड़ता है—और नियमों का उल्लंघन करने पर सात वर्ष की सज़ा तक का प्रावधान है—तो निजी लैबों पर कोई नियंत्रण क्यों नहीं है? उन्होंने कहा कि कई निजी लैबों में यह तक स्पष्ट नहीं है कि वहां कौन कार्यरत है और उनकी योग्यता क्या है।
कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल से आग्रह किया कि प्रदेश में एक ऐसी स्वतंत्र बॉडी गठित की जाए, जो निजी लैबों की गुणवत्ता, लाइसेंसिंग, ट्रेंड स्टाफ की कुशलता और मानकों का नियमित मूल्यांकन करे। संघ ने मांग की कि जिन लैबों में क्वालिफाइड स्टाफ न हो या गुणवत्ता मानकों में कमी पाए जाए, उन्हें तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए।


