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रिश्वत को ना कहें — ईमानदारी को हाँ कहें”: हिमाचल में मनाया जा रहा सतर्कता सप्ताह

सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2025: “सतर्कता – हमारी साझा समृद्धि”

 

शिमला, 27 अक्टूबर 2025:

राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (SV&ACB), हिमाचल प्रदेश, 27 अक्टूबर से 2 नवम्बर 2025 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह 2025 मनाएगा। इस वर्ष का थीम है “सतर्कता – हमारी साझा समृद्धि”।

सप्ताह का आरंभ 27 अक्टूबर 2025 को सुबह 11:00 बजे ईमानदारी की शपथ के साथ किया गया। यह शपथ प्रदेश के सभी पुलिस रेंज और SV&ACB इकाइयों में ली जाएगी। SP, रेंज अधिकारी और SV&ACB के SHO को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपनी इकाइयों में सभी कर्मचारियों की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करें।

सतर्कता जागरूकता सप्ताह के दौरान मुख्य पहलें:

1. सार्वजनिक जागरूकता एसएमएस के माध्यम से:
SV&ACB पुलिस स्टेशनों और सतर्कता हेल्पलाइन के संपर्क नंबर जनता तक पहुंचाए जाएंगे, ताकि भ्रष्टाचार के खिलाफ मदद उपलब्ध हो सके।

2. विद्यालय के बच्चों की जागरूकता मार्च:
छात्र-छात्राएं होर्डिंग और पोस्टर लेकर मार्च में हिस्सा लेंगे, जिसमें ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी संदेश होंगे।

3. ग्राम पंचायत बैठकें:
प्रधान, सदस्यों, किसानों, मनरेगा कर्मचारियों, स्वयं सहायता समूहों और नागरिकों के साथ बैठकें आयोजित की जाएंगी। इन बैठकों में सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी उपायों पर व्याख्यान और चर्चा होगी। यह सभी कार्यक्रम स्थानीय भाषा में होंगे।

4. ऑनलाइन पोस्टर प्रतियोगिता:
स्कूल, कॉलेज और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से “सतर्कता – हमारी साझा जिम्मेदारी” थीम पर पोस्टर बनाने के लिए आमंत्रण। प्रतियोगिता की जानकारी SV&ACB की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगी।

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5. भाषण और वाद-विवाद प्रतियोगिता:
जिलों के कॉलेजों में युवा वर्ग को भ्रष्टाचार विरोधी जागरूकता में शामिल करने के लिए भाषण और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।

6. विभागीय संवाद:
SP विभिन्न विभागों जैसे HPPWD, जल शक्ति विभाग, राज्य कर एवं उत्पाद शुल्क, राजस्व आदि के अधिकारियों से संवाद करेंगे और उन्हें सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यप्रणाली से अवगत कराएंगे।

7. डिजिटल प्रचार:
सतर्कता जागरूकता का DP (डिस्प्ले पिक्चर) सोशल मीडिया पर साझा किया जाएगा। नागरिकों से इसे शेयर करने की अपील की गई है, ताकि ईमानदारी का संदेश फैल सके।

 

DGP सतर्कता, अशोक तिवारी, आईपीएस का सार्वजनिक संदेश:

> “भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत रिश्वत लेना या देना गंभीर अपराध है।
धारा 7 के अनुसार, कोई भी सरकारी कर्मचारी जो अनुचित लाभ (पैसा, उपहार या अन्य सुविधाएं) मांगता, स्वीकार करता या प्राप्त करने का प्रयास करता है, उसे 3 से 7 साल की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है।
धारा 8 के अनुसार, रिश्वत देने वाला भी 7 साल तक जेल की सजा का पात्र है।
यदि कोई व्यक्ति मजबूरी में रिश्वत देता है और 7 दिन के भीतर इसे अधिकारियों को सूचित करता है, तो उसे सजा नहीं होगी।
याद रखें: भ्रष्टाचार में दो पक्ष होते हैं – यदि एक इंकार कर दे, तो भ्रष्टाचार खत्म हो जाता है।
आइए मिलकर एक ईमानदार, पारदर्शी और जवाबदेह भारत बनाएं।

Deepika Sharma

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