यूनेस्को के विश्व बायोस्फीयर रिजर्व नेटवर्क का हिस्सा बनी स्पीति घाटी

शिमला 28 सितंबर। लाहौल-स्पीति जिले की स्पीति घाटी को यूनेस्को के प्रतिष्ठित मानव और बायोस्फीयर (एमएबी) कार्यक्रम के तहत देश के पहले शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में मान्यता दी गई है।
यह मान्यता औपचारिक रूप से 26 से 28 सितंबर, 2025 तक चीन के हांगझोउ में आयोजित 37वीं अंतरराष्ट्रीय समन्वय परिषद (एमएबी-आईसीसी) की बैठक के दौरान प्रदान की गई। इस समावेशन के साथ, भारत के अब एमएबी नेटवर्क में कुल 13 बायोस्फीयर रिजर्व हो गए
स्पीति कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व 7,770 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में फैला है, जिसमें संपूर्ण स्पीति वन्यजीव प्रभाग 7,591 वर्ग किलोमीटर और लाहौल वन प्रभाग के आसपास के हिस्से शामिल हैं, जिनमें बारालाचा दर्रा, भरतपुर और सरयू (179 वर्ग किलोमीटर) शामिल हैं।
3,300 से 6,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह क्षेत्र, भारतीय हिमालय के ट्रांस-हिमालय जैव-भौगोलिक प्रोविंस के अंतर्गत आता है। रिजर्व को तीन क्षेत्रों में संरचित किया गया है, 2,665 वर्ग किलोमीटर कोर ज़ोन, 3,977 वर्ग किलोमीटर बफर जोन और 1,128 वर्ग किलोमीटर ट्रांजिशन जोन।
यह पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान, किब्बर वन्यजीव अभयारण्य, चंद्रताल आर्द्रभूमि और सरचू मैदानों को एकीकृत करता है। यह विषम जलवायु, स्थलाकृति और नाजुक मिट्टी द्वारा निर्मित एक अद्वितीय शीत रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाता है।
यह क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से समृद्ध है, जिसमें 655 जड़ी-बूटियां, 41 झाड़ियां और 17 वृक्षों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 14 स्थानिक और 47 औषधीय पौधे शामिल हैं। यह सोवारिग्पा/आमची चिकित्सा परंपरा के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।
यहां के वन्यजीवों में 17 स्तनपायी प्रजातियां और 119 पक्षी प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें हिम तेंदुआ एक प्रमुख प्रजाति है। अन्य उल्लेखनीय प्रजातियों में तिब्बती भेड़िया, लाल लोमड़ी, आइबेक्स, और नीली भेड़, हिमालयन स्नोकॉक, गोल्डन ईगल, बेयर्ड गिद्ध शामिल हैं। यह 800 से अधिक नीली भेड़ों का आश्रय स्थल है।



