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अगर पितरों को संतुष्ट करना है तो जीते जी पितरों की सेवा और संस्कार करो

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बुजुर्गों का पूर्वजों के प्रति दायित्व दायित्व समझने एवं मूल विरासत से जुड़ने का अवसर है पितृपक्ष l श्राद्ध एक हिंदू धार्मिक क्रिया है, जो पितरों की आत्मा की शांति और संतोष के लिए किया जाता है lपितृपक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा के बाद से अमावस्या तक चलता है lश्रद्धा संस्कृत शब्द श्रद्धा से निकला है , जिसका अर्थ है श्रद्धा या भक्ति से किया गया कार्य l यह एक धार्मिक कर्मकांड है जिसमें मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है l

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पितृपक्ष के बारे में गीता मंदिर टूटीकंडी के पंडित वासुदेव शर्मा ने बताया कि अगर पितरों को संतुष्ट करना है तो जीते जी पितरों की सेवा और संस्कार करो l जो आज बहुत दुर्लभ है l श्राद्ध के महत्व के बारे में पंडित जी के विचार बहुत सरहानीय है l महाभारत में युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से श्राद्ध की महता पूछी थी l गरुड़ पुराण, अग्नि पुराण, मनुस्मृति में इसका उल्लेख मिलता है l श्राद्ध से पितृ तृप्त होते हैं और तृप्त पितृवशजो को आशीर्वाद देते है l

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जब असर न्यूज़ की टीम में प्रश्न किया कि क्या आज की नई पीढ़ी पितृपक्ष को मानती है तो उनका उत्तर बहुत ही चोंकाने वाला था, कि आज की पीढ़ी पितृपक्ष को नहीं मानती को नहीं मानती वे यह विश्वास ही नहीं करना चाहती की पितृ क्या होते हैं ? पुरानी पीढ़ी तो पितरों के लिए तर्पण, जलांजलि, ब्राह्मण भोजन सब कर रही है, परंतु नई पीढ़ी ये सब नहीं करेगी l श्राद्ध में ब्राह्मणों की भूमिका बहुत अहम होती है l उनके द्वारा किया गया तर्पण, जलांजलि पितरों को संतुष्ट करता है lब्राह्मण भोज, वस्त्र दान, दक्षिणा, श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को अनिवार्य है l

वासुदेव शर्मा ने बताया कि अपनी कमाई का दसवां हिस्सा श्राद्ध में दान करना चाहिए और कहते भी हैं कि जहां पितरों का आशीर्वाद होता है वहां देवता स्वयं निवास करते हैं l

भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि पितरों के नाम से सुपात्र को किया गया दान को मैं मैं स्वयं लेकर पितृ लोक तक पहुंचता हूं l इन दोनों हमारे पितृ भी पूरी आशा के साथ हमारी श्रद्धा रूपी छवि की प्रतीक्षा करते हैं l

विख्यात कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि श्राद्धमें लोगों की यह गलत धारणा है कि श्राद्ध में कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, बल्कि प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि हमें शुभ कार्य को करना चाहिए l हमारे पितृ प्रसन्न एवं तृप्त होते हैं l

हमारे पितृ हमसे प्रसन्न रहे, उनकी कृपा दृष्टि एवं उनका आशीर्वाद सदेव हम पर बना रहे l इसके लिए श्राद्ध पक्ष में पितरों को प्रसन्न करना अनिवार्य है l

जसवीर सूद (डिंपल सूद )

Deepika Sharma

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