पर्यावरण

ऊर्जा दक्षता और स्वच्छ उत्पादन पर फोकस — सोलन में MSMEs के लिए जागरूकता कार्यशाला संपन्न

DIC, SIDBI और MSME मंत्रालय की पहल – MSMEs को दी डिजिटल निगरानी और हरित तकनीक की जानकारी

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ऊर्जा दक्षता और स्वच्छ उत्पादन पर फोकस — सोलन में MSMEs के लिए जागरूकता कार्यशाला संपन्न

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हिमाचल प्रदेश में सतत औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और संसाधनों की उपयोगिता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, ‘ग्रीनिंग ऑफ MSMEs’ योजना के तहत उद्योग विभाग, हिमाचल प्रदेश जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में 5 अगस्त 2025 को सोलन और परवाणु में कार्यशालाएं आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का लक्ष्य हिमाचल प्रदेश के 2,500 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को ऊर्जा संरक्षण, कचरा प्रबंधन और हरित वित्तपोषण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना है।

यह कार्यशालाएं फ्रॉस्ट एंड सुलिवन और टिंज कंसल्टेंसी के संयुक्त प्रयास से आयोजित की गई। सोलन में आयोजित कार्यशाला में DFO, MSME से श्री ए. के. गौतम, सहायक निदेशक ग्रेड-1, IEDS श्री राहुल बंसल, SIDBI के प्रबंधक, श्री शशांक भगत और DIC सोलन के महाप्रबंधक, श्री सुरेन्दर ठाकुर, श्री बलराज शर्मा – औद्योगिक प्रचार अधिकारी विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

इसके आलावा कार्यशाला में लगभग 50 प्रतिभागियों ने ऊर्जाबचत, कचरा पुनर्चक्रण, जल प्रबंधन और हरित वित्तपोषण पर व्यावहारिक सत्रों में हिस्सा लिया।

महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र (DIC), सोलन सुरेंद्र ठाकुर नें बताया कि यह कार्यशाला अत्यंत फलदायी रही, जिसमें 40 से 45 एमएसएमई इकाइयों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। हरितकरण, ऊर्जा दक्षता और सिडबी (SIDBI) की योजनाओं पर हुए सत्र बेहद सूचनाप्रद रहे। प्रतिभागी एमएसएमई इकाइयों ने इस कार्यशाला पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और अब वे स्वच्छ उत्पादन तकनीकों को अपनाने के लिए उत्साहित हैं।

DIC, SIDBI और MSME मंत्रालय की पहल – MSMEs को दी डिजिटल निगरानी और हरित तकनीक की जानकारी

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इस कार्यशाला में DFO, MSME मंत्रालय से श्री ए. के. गौतम, सहायक निदेशक, ग्रेड-1, IEDS और श्री राहुल बंसल, सहायक निदेशक ने कार्यशाला में एमएसएमई मंत्रालय की अन्य योजनाओं पर प्रस्तुति दी, जिन्हें बहुत ही सहज रूप से प्राप्त किया जा सकता है और ये योजनाएं उद्यमों को विभिन्न लाभ प्रदान करती हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि एमएसएमई को लेकर पूरा सहयोग दिया जा रहा है।

इस दौरान प्रतिभागियों को संसाधन-कुशल स्वच्छ उत्पादन (RECP), शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य, पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक (ESG) ढांचे, परिपत्र अर्थव्यवस्था और कार्बन उत्सर्जन कम करने की योजनाओं जैसे आधुनिक विषयों से अवगत कराया गया। साथ ही डिजिटल निगरानी प्रणाली, हरित तकनीक प्रदाताओं तक पहुंच और वित्तीय सहायता के विकल्पों की जानकारी भी दी गई, ताकि MSMEs अपने व्यवसाय को और अधिक टिकाऊ बना सकें।

‘ग्रीनिंग ऑफ MSMEs’ पहल भारत सरकार के RAMP (राइजिंग एंड एक्सेलेरेटिंग MSME परफॉर्मेंस) कार्यक्रम का अहम हिस्सा है, जिसे विश्व बैंक का समर्थन प्राप्त है। इस पहल के तहत हिमाचल प्रदेश के लगभग 1,900 MSMEs को संरचित हरित परिवर्तन की ओर जोड़ा जाएगा, और भविष्य में इसे 2,500 से अधिक उद्यमों तक बढ़ाने की योजना है।

कार्यशाला में आये प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए इस तरह की कार्यशालाओं को काफ़ी लाभदायक बताया।

नानक फ्लोर मिल्स के सुखबीर सिंह ने बताया कि “एमएसएमई के हरितकरण (Greening) पर आयोजित कार्यशाला से अपशिष्ट न्यूनीकरण और ऊर्जा दक्षता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई। यह कार्यशाला एमएसएमई इकाइयों के लिए अत्यंत लाभदायक और जानकारीपूर्ण रही। विशेषज्ञों ने बेहतरीन मार्गदर्शन दिया और सभी शंकाओं का समाधान किया।

Deepika Sharma

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