सम्पादकीय

मुख्यमंत्री सुक्खू को आईबीसीए ने सौंपा 3 करोड़ का चेक, संरक्षण गतिविधियों को मिलेगी गति

इको-टूरिज्म और संरक्षण का संगम: त्साराप-चू से खुले नए आजीविका के द्वार

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इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (आईबीसीए) की टीम ने सुमित्रा दास गुप्ता के नेतृत्व में नव अधिसूचित त्साराप चू संरक्षण रिज़र्व के संरक्षण और प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू को आज तीन करोड़ रुपये का चेक सहायता राशि के रूप में भेंट किया।

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मुख्यमंत्री ने इस उदार सहायता के लिए आईबीसीए का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह धनराशि संरक्षण रिज़र्व की प्रबंधन योजना तैयार करने, प्रबंधन समिति के गठन और संबंधित हितधारकों के क्षमता निर्माण जैसी प्रारंभिक संरक्षण गतिविधियों को गति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि यह सहयोग सामुदायिक भागीदारी से चलने वाले वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देगा और स्थानीय लोगों के लिए पर्यावरण-अनुकूल गतिविधियों के माध्यम से आजीविका के अवसर भी सृजित करेगा।

मुख्यमंत्री ने वन्यजीव सप्ताह के समापन समारोह के दौरान की गई घोषणा के बाद, त्साराप-चू को 7 मई, 2025 को औपचारिक रूप से भारत के सबसे बड़े संरक्षण अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित किया था। यह रिजर्व 1,585 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है हिमाचल प्रदेश के ट्रांस-हिमालयन क्षेत्र में स्थित है। इसके उत्तर में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, पूर्व में किब्बर वन्यजीव अभयारण्य, दक्षिण में कब्जिमा नाला और पश्चिम में चंद्रताल वन्यजीव अभयारण्य तथा बारालाचा दर्रा स्थित है।

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त्साराप चू संरक्षण रिज़र्व हिमाचल प्रदेश में हिम तेंदुए के उच्च-घनत्व वाले आवास स्थलों में से एक है। यह हिमालयी और ट्रांस-हिमालयी वनस्पतियों और जीवों की एक समृद्ध विविधता का भी आश्रय है, जिसमें तिब्बती भेड़िया, कियांग, भराल, आइबेक्स, तिब्बती अर्गली जैसी प्रजातियां और रोज़ फ़िंच, तिब्बती कौवे और पीली-चोंच वाले चफ़ जैसे पक्षी शामिल हैं। यह रिज़र्व चराप नाले के जलग्रहण क्षेत्र में आता है और किब्बर व चंद्रताल वन्यजीव अभयारण्यों को जोड़ने वाले एक महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे के रूप में कार्य करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि त्साराप-चू अब देश का सबसे बड़ा संरक्षण रिज़र्व है। इस रिज़र्व से इको-टूरिज्म, प्राकृतिक फोटोग्राफी, कैंपिंग और वन्यजीव अनुसंधान को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय लोगों को भी आजीविका के अवसर प्राप्त होंगे। इस रिज़र्व का प्रबंधन एक संरक्षण रिज़र्व प्रबंधन समिति द्वारा किया जाएगा, जिसमें स्थानीय पंचायतों के प्रतिनिधि शामिल होंगे ताकि समावेशी और समुदाय-आधारित प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके और पारिस्थितिक लक्ष्यों को स्थानीय आवश्यकताओं के साथ जोड़ा जा सके।

आईबीसीए, 96 रेंज और नॉन-रेंज देशों का एक गठबंधन है, जो दुनिया भर में बाघ, शेर, तेंदुए और हिम तेंदुए सहित सात बड़ी बिल्ली प्रजातियों और उनके आवासों के संरक्षण पर केंद्रित है। इस गठबंधन ने हिमाचल प्रदेश जैसे उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क को मजबूत और विस्तारित करने में विशेष रुचि दिखाई है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव)-सह-मुख्य वन्यजीव वार्डन अमिताभ गौतम भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

Deepika Sharma

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