

पैसा हाय पैसा
“पैसा भगवान की तरह है, पैसा सब कुछ है, किसी को समाज में इज़्ज़त व् सम्मान नहीं मिल सकता जब तक कि किसी के पास खूब धन दौलत न हो, अगर किसी के पास पैसा है तो वो कुछ भी खरीद सकता है. पैसा सब कुछ नहीं है, कोई भी पैसे के साथ सब कुछ नहीं खरीद सकता है, पैसे से कोई भी पृथ्वी पर हर तरह की विलासिता खरीद सकता है, लेकिन मानसिक शांति, सुख-चैन नहीं।“ आम तौर पर हम विभिन्न लोगों से उपर्युक्त दोनों प्रकार की बातें या संवाद सुनते रहते हैं और कई बार एक सवाल भी हमारे दिमाग में आता है कि वास्तव में किसी के जीवन में एक गुणवत्ता जीवन जीने के लिए कितने धन की आवश्यकता होती है। पैसे की सीमा को बताना भी आसान नहीं है क्योंकि सीमा कई कारणों, आवश्यकताओं पर निर्भर करती है; हालांकि यह भी एक तथ्य है कि पैसे की महत्वपूर्ण भूमिका है। कोई भी पैसे के साथ सब कुछ नहीं खरीद सकता है, लेकिन निश्चित रूप से कोई भी इसके साथ बहुत सारी चीजें खरीद सकता है।
यह एक कठिन तथ्य है कि हर व्यक्ति अपने तमाम जीवन में सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने के लिए जीवन जी रहा है। जन्म लेने के बाद जैसे ही इंसान थोड़ा होश संभालता है, मानव शिक्षा प्राप्त करना शुरू कर देता है, अपने कौशल को बढ़ाने के बारे में सोचने लग जाता है ताकि उसके पास एक अच्छी नौकरी या अच्छा व्यवसाय हो, जिस के माध्यम से वो पर्याप्त मात्रा में धन कमा सके। हर व्यक्ति जितना भी पैसा वो कमाना चाह रहा होता हो , उसका एक लक्ष्य निर्धारित कर लेता है जो कि उसकी स्वयं की सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य, उसकी अपनी क्षमताओं और कौशल और उसकी आने वाले भविष्य की जिम्मेदारियों के साथ -साथ जीवन में उसकी अपनी आकांक्षाओं पर निर्भर करता है। यहाँ क्या होता है कि जहाँ तक एक आरामदायक जीवन की जरूरतों और आवश्यकताओं का संबंध है, हर किसी को पता रहता है, लेकिन जिम्मेदारियों की सीमा कितनी है, यह थोड़ा अनिश्चित होता है और कितना पैसा या दौलत कमाने की सीमा है, यह भी शुरू शुरू में स्पष्ट नहीं रहता है।
जहां तक जिम्मेदारी का संबंध है, एक व्यक्ति की जिम्मेदारी शादी हो जाने और बच्चे हो जाने के बाद बढ़ जाती हैं। अब, कोई भी अपनी जिम्मेदारियों के स्तर को सीमित कर सकता है यदि किसी के केवल एक या दो बच्चे हैं; लेकिन अगर कोई एक बड़ा परिवार है तो यह स्वाभाविक है कि जिम्मेदारी का स्तर बहुत अधिक हो जाएगा और सुविधा का स्तर नीचे चला जाएगा और आरामदायक चीजों की संख्या खरीदने का सपना भी फीका हो जाएगा। और क्या होता है कि शानदार जीवन जीना केवल एक सपना बना रहता है। हालांकि, कोई भी निश्चित रूप से ऐसा भी सोच सकता है कि क्योंकि ज़रूरतें अधिक हैं तो धन भी अधिक कमाने की तरफ ध्यान देना होगा लेकिन समस्याएं काफी अधिक हो जाती हैं और ऐसा करना आसान नहीं होता है। इसलिए यह सवाल वापस आता है कि किसी के जीवन में एक आरामदायक जीवन को कम जीने के लिए कितना पैसा चाहिए।
केवल सांख्यिकी दृष्टिकोण से किसी भी संख्यात्मक संख्या को देना आसान नहीं है क्योंकि आवश्यकताओं, चाहतों और कई अनेकों कारणों से ही यह निर्धारित किया जा सकता है कि किसी को कितना पैसा चाहिए और यहां चर्चा की मुख्य बात यह नहीं है कि किसी को कितना पैसा चाहिए, बल्कि मुद्दा यह है कि पैसे की चाहत, भूख या कहा जाये हवस का क्या किया जाए? अपराध, शोषण, झगड़े, लड़ाई, अतीत में हो रहे युद्ध और यहां तक कि वर्तमान में समस्त विश्व में देशों के बीच हो रहे युद्ध अधिक से अधिक दौलत पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के साथ संबंधित हैं। पिछले कुछ वर्षों में अवैध नशा समाज के लिए एक खतरा बन गया है और ड्रग तस्करों को समाज, भविष्य या किसी और चीज के बारे में कुछ भी लेना देना नहीं है सिवाय इसके कि वे कैसे त्वरित पैसा कमा सकते हैं। यह कोई नई बात नहीं है, यह सदियों से हो रहा है जब जनजातियों या राजा अपने विरोधियों पर हमला किया करते थे ताकि उनके तहत अधिक से अधिक संसाधनों को संग्रहित किया जा सके। जब कोरोना आया, तो लोगों को उस समय एहसास हुआ कि पैसे के साथ हर किसी वस्तु को खरीदा नहीं जा सकता है और स्वास्थ्य पैसे से अधिक महत्वपूर्ण है। पुराने दिनों में यह कहा गया था कि अगर दौलत चली जाए तो कुछ भी नहीं गया, अगर स्वास्थ्य जाता है तो इसका मतलब है कि कुछ चला गया है, लेकिन अगर चरित्र चला जाता है तो इसका अर्थ है कि सब कुछ चला गया है। लेकिन कोरोना आया और चला गया और यह भावना व् अहसास भी साथ ही चला गया।
धन ने लोगों के दिमाग, विचार प्रक्रिया, जीवन शैली, व्यवहार को इस तरह से पकड़ लिया है कि मनुष्य इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। लोगों ने अपना धैर्य खो दिया है, समय व् शान्ति खो दी है, मन का चैन खो दिया है, घर परिवार का सुख चैन दांव पर लगा दिया है, परिवार की खुशी को दरकिनार कर लिया है, अधिक से अधिक और जल्दी पैसा कमाने की होड़ ने मानव को पागल सा बना दिया है। पैसा दैनिक जरूरतों को पूरा करने, आरामदायक जीवन जीने, बेहतर भविष्य के लिए समय की आवश्यकता है; लेकिन साथ ही इस की सीमा को भी निर्धारित करना होगा। विलासिता का कोई अंत नहीं है, लेकिन प्रत्येक मानव को एक सीमा को तय करना आवश्यक है, जो हरेक की अपनी क्षमताओं पर भी निर्भर करती है। यदि किसी व्यक्ति को कुछ शौक है; और यह भी है कि हर किसी को कुछ जुनून या टेलेंट भी होता है, और व्यक्ति अपने शौक को आगे बढ़ाने के लिए अपने समय का उपयोग करता है, फिर पैसे के बारे में पागल होने के लिए उसका क्रेज भी नीचे आ जाएगा। दैनिक व्यायाम, एक समय अनुसूची के अनुसार सामाजिक गतिविधियों में खुद को शामिल करना, अपने शौक को पूरा करने के लिए समय निकालना, परिवार व् दोस्तों के साथ हंसी खुशी से समय बिताना एक व्यक्ति को व्यस्त भी रखता है और शांत व् सुलझा हुया भी बना देता है। पैसा महत्वपूर्ण है, हर किसी को इसे अर्जित करने के लिए प्रयास करना चाहिए, इसे संरक्षित भी करना चाहिए, लेकिन इसका गुलाम नहीं होना चाहिए कि कोई मानसिक शांति को खो दे और इसका दास बन जाय




