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राज्यपाल ने उठाया सवाल: विश्व को बालिका दिवस को मनाने की आवश्यकता क्यों महसूस की गई?

 

अन्तरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज यहां राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर का दौरा किया।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारे समाज में महिलाओं को उच्च दर्जा प्रदान किया गया है और हमारे देश को मां के रूप में स्वीकार किया गया है।

छात्राओं को शक्ति स्वरूप बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि इस पर विचार करने की आवश्यकता है कि विश्व को इस दिवस को मनाने की आवश्यकता क्यों महसूस की गई। सहाना सिंह की पुस्तक एजुकेशन हेरिटेज इन एंन्शेंट इंडिया का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत कि उच्च परम्परा में महिलाओं को समान अधिकार दिए गए। महिलाएं नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय में भी अध्यापन का कार्य करती थीं। उन्होंने कहा कि मध्यकाल में समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव बढ़ने लगा।

 

उन्होंने कहा कि मैकाले ने एक विशेष संस्कृति को खत्म करने के उद्देश्य से उसी के अनुसार किताबें लिखीं। इनमें यह बताने का प्रयास किया गया कि हमारी संस्कृति में महिलाओं की शिक्षा का कोई प्रावधान नहीं है जबकि यह धारणा पूरी तरह से गलत है।

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राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति ने महिलाओं को कई नामों से पुकारा है। हमारी संस्कृति में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान रखा गया है इसलिए दुनिया हमें इस बारे में शिक्षा नहीं दे सकती है। उन्होंने कहा कि सामाजिक धारणाओं को बदलने की आवश्यकता है।

 उच्चतर शिक्षा के संयुक्त निदेशक अशित कुमार ने राज्यपाल का स्वागत किया और कहा कि प्रदेश में वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर 78 हजार 480 छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों में 60 प्रतिशत से अधिक छात्राएं हैं जो यह प्रदर्शित करता है कि प्रदेश में बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

पोर्टमोर विद्यालय की प्रधानाचार्य नरेन्द्रा सूद ने राज्यपाल को सम्मानित किया और विद्यालय में आने के लिए उनका आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर छात्राओं ने रंगारंग संास्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया।महिला एवं बाल विकास विभाग की अतिरिक्त निदेशक एकता कापटा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

 

Deepika Sharma

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